1981 में जसवंत सिंह आयोग ने आगरा को खंडपीठ के लिए सबसे उपयुक्त स्थान बताया था। आगरा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अधिवक्ता लंबे समय से खंडपीठ की मांग कर रहे हैं। 2001 में आगरा में हुए अधिवक्ताओं के आंदोलन पर लाठीचार्ज हुआ था। 29 फरवरी को केंद्र सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए न्यायिक कार्य से विरत रहने का आह्वान किया गया है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उच्च न्यायालय इलाहाबाद की खंडपीठ स्थापित करने की मांग को लेकर आगरा और अलीगढ़ मंडल के अधिवक्ता 29 फरवरी को न्यायिक कार्य से विरत रहेंगे। यह बंद उच्च न्यायालय खंडपीठ स्थापना संघर्ष समिति आगरा द्वारा आयोजित किया जा रहा है।
समिति का कहना है कि 1981 में जसवंत सिंह आयोग ने आगरा को खंडपीठ के लिए सबसे उपयुक्त स्थान बताया था। इसके बावजूद, केंद्र और प्रदेश सरकारों ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की है।
आगरा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अधिवक्ता लंबे समय से खंडपीठ की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कई बार प्रदर्शन और आंदोलन भी किए हैं। 2001 में आगरा में हुए अधिवक्ताओं के आंदोलन पर लाठीचार्ज भी हुआ था।
समिति ने कहा है कि 29 फरवरी को बंद केंद्र सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए किया जा रहा है। सभी बार एसोसिएशनों से आह्वान किया गया है कि वे इस बंद में शामिल हों।
इन्होने की अपील
- उच्च न्यायालय खंडपीठ स्थापना संघर्ष समिति आगरा
- संयोजक: अरुण कुमार सोलंकी
- महामंत्री: गण शैलेंद्र रावत, अनिल कुमार तिवारी, आर के नीलम, वीरेंद्र फौजदार, मोरध्वज सिंह
- सचिव: सर्वश्री सियाराम वर्मा, गिरधारी लाल चौरसिया, एसपी भारद्वाज, जितेंद्र चौहान, रिजवान यादव
- संयुक्त सचिव: सर्वश्री विकास गुप्ता, वीर बहादुर सिंह, विक्रांत गुप्ता, के के महेश्वरी, केशब वशिष्ठ, आनंद शर्मा