गाजियाबाद | छठ पर्व की शुरुआत पूरे भारत में हो चुकी है आज यह पर्व बिहार से निकलकर लगभग अन्य सभी हिंदी भाषी क्षेत्रों में फैल रहा है | छठ पर्व के आयोजन को लेकर गाजियाबाद नगर निगम भी बड़े-बड़े दावे कर रहा है | लेकिन इस वर्ष भी हिंडन नदी के धोबी घाट पर अव्यवस्थाओं का बोलबाला है | इस घाट पर लगभग हजारों की संख्या में छठ व्रती स्नान और सूर्य को अर्घ्य देने के लिए आते हैं | लेकिन पूर्व की भांति इस वर्ष भी इन सभी को निराशा हाथ लगी है क्योंकि नगर निगम ने इनकी मांग पर कोई ध्यान नहीं दिया है |
हिंडन तट पर स्वच्छ कार्पेट पर झाड़ू लगाकर स्वच्छता मुहिम प्रारंभ करने वाले नगर आयुक्त छठ व्रतियों के स्वास्थ्य को लेकर नहीं है गंभीर
आपको बताते चलें धोबी घाट को जाने वाला यह मार्ग दोनों तरफ से कटीली झाड़ियों से घिरा है, इस मार्ग पर प्रकाश की कोई व्यवस्था मौजूद नहीं है और ना ही छठ व्रत रखने वाले लोगों के लिए स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता है | यहां तक की इस मार्ग पर और यहां पर लोगों द्वारा बनाए गए विभिन्न घाटों पर किसी भी प्रकार की दवाओं का छिड़काव किया गया है | ऐसे समय में जब मलेरिया का प्रकोप पूरे उत्तर प्रदेश में एक बार फिर तेजी से बढ़ रहा है, ऐसे में क्या नगर निगम को श्रद्धालुओं के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए आवश्यक दवाओं का छिड़काव नहीं कराना चाहिए ?
आपको बताते चलें 2 दिन पूर्व नगर निगम के अधिकारियों द्वारा हिंडन नदी के मुख्य घाट पर स्वच्छता मुहिम चलाई गई थी | जिसके अंतर्गत स्वच्छ कार्पेट पर नगर आयुक्त द्वारा झाड़ू लगाई जा रही थी | अब आप ही समझ सकते हैं कि नगर आयुक्त और उनके अधीनस्थ अधिकारी किस प्रकार से स्वच्छता को लेकर गंभीर हैं और स्वच्छ कार्पेट पर झाड़ू लगाकर क्या संदेश देना चाहते हैं ?
नगर निगम का कहना है कि उसके द्वारा जितने घाटों की मांग की गई थी उन सभी घाटों पर समुचित व्यवस्थाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं | इसी घाट से मात्र 100 मीटर की दूरी पर हिंडन नदी का मुख्य घाट पड़ता है | जहां पर नगर निगम सभी आवश्यक व्यवस्थाएं उपलब्ध करा रहा है | सवाल यह है कि जब वहां पर लोगों को भीड़ की वजह से जगह नहीं मिल पाता है तब छठ व्रती जिनको अपने व्रत का पालन अनिवार्य रूप से करना ही है | वह मजबूरी बस वैकल्पिक स्थानों की तलाश करते हैं और उन्हीं वैकल्पिक का स्थानों में एक प्रमुख स्थान धोबी घाट है | ऐसे में आवश्यक है कि नगर निगम यदि सभी सुविधाएं ऐसे घाटों पर नहीं उपलब्ध करा सकता है, तो कम से कम एंटी लारवा का छिड़काव, मार्ग में आवश्यक साफ-सफाई, और प्रकाश की उत्तम व्यवस्था उपलब्ध कराई जानी चाहिए | लेकिन नगर निगम शायद इस घाट पर आने वाले लोगों के स्वास्थ्य चिंताओं को लेकर गंभीर नहीं है | जिसके कारण यह घाट अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है |
जहां प्रदेश में मलेरिया का प्रकोप एक बार फिर से बढ़ रहा है ऐसे में क्या इस प्रकार के घाटों पर आवश्यक दवाओं का भी छिड़काव नहीं कराया जा सकता ?