चित्रकूट में गंगा दशहरा: मंदाकिनी के घाटों पर उमड़ा आस्था का सैलाब, लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई डुबकी

Saurabh Sharma
3 Min Read

भगवान कामदगिरि और मत्यगजेन्द्र नाथ के दर्शन कर की परिक्रमा, दान-पुण्य का विशेष महत्व

चित्रकूट, उत्तर प्रदेश, बृजबिहारी पाण्डेय: आध्यात्मिकता और प्रकृति की गोद में बसे पावन तीर्थस्थल चित्रकूट में गंगा दशहरा का पर्व अत्यंत श्रद्धा और धूमधाम से मनाया गया। इस विशेष अवसर पर, मंदाकिनी गंगा के घाटों पर आस्था का विशाल जनसैलाब उमड़ पड़ा। लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने मंदाकिनी के निर्मल जल में आस्था की डुबकी लगाई और मां गंगा की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की। इस पवित्र दिन पर स्नान और दान का विशेष महत्व माना जाता है, जिसे निभाते हुए श्रद्धालुओं ने पुण्य कमाया।

मंदाकिनी गंगा: चित्रकूट की जीवनदायिनी

चित्रकूट की मंदाकिनी नदी को गंगा के ही समान पवित्र माना जाता है। मान्यता है कि भगवान राम ने अपने वनवास काल के दौरान इसी नदी के तट पर निवास किया था। गंगा दशहरा के दिन मंदाकिनी में स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। सुबह से ही घाटों पर भक्तों की लंबी कतारें लगनी शुरू हो गई थीं, जो जयकारे लगाते हुए पावन स्नान के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। सुरक्षा व्यवस्था के भी पुख्ता इंतजाम किए गए थे ताकि किसी प्रकार की अव्यवस्था न फैले।

See also  युवा यादव महासभा के जिलाध्यक्ष बने नरेंद्र यादव

भगवान भूतभावन मत्यगजेन्द्र नाथ और कामदगिरि की परिक्रमा

मंदाकिनी में डुबकी लगाने और गंगा पूजन के उपरांत, श्रद्धालुओं का अगला पड़ाव भगवान शिव के दिव्य रूप भूतभावन मत्यगजेन्द्र नाथ का मंदिर रहा। भक्तों ने यहां भगवान के दर्शन किए और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। इसके बाद, सभी ने भगवान कामतानाथ (भगवान कामदगिरि) के दर्शन कर उनकी पवित्र परिक्रमा की। चित्रकूट की यह परिक्रमा 5 किलोमीटर लंबी है और इसका धार्मिक महत्व अत्यंत विशिष्ट है। माना जाता है कि इस परिक्रमा को करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

बंदरों को गुड़-चना खिलाने की परंपरा

चित्रकूट में एक और अनूठी परंपरा देखने को मिली, जहां श्रद्धालुओं ने बंदरों को गुड़ और चना खिलाया। यहां के बंदरों को भगवान हनुमान का स्वरूप माना जाता है, और उन्हें भोजन कराने से पुण्य मिलता है। घाटों से लेकर परिक्रमा मार्ग तक, हर जगह श्रद्धालु बंदरों को खिलाते हुए देखे गए, जो इस धार्मिक अनुभव का एक अभिन्न अंग बन गया था।

See also  Etah News: जलेसर में विवाहिता की संदिग्ध मौत, दहेज हत्या का आरोप

आध्यात्मिक ऊर्जा और सांस्कृतिक महत्व

गंगा दशहरा का यह पर्व चित्रकूट की आध्यात्मिक ऊर्जा और सांस्कृतिक समृद्धि को दर्शाता है। इस दिन देशभर से आए श्रद्धालुओं ने न केवल धार्मिक अनुष्ठान किए, बल्कि चित्रकूट की शांत और पवित्र वातावरण का भी अनुभव किया। यह पर्व प्रकृति, आस्था और पौराणिक कथाओं के संगम का प्रतीक है, जो हर साल हजारों भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करता है।

See also  Kharagarh News: सेना से 24 साल की सेवा के बाद लौटे अनिल सिकरवार का खेरागढ़ में भव्य स्वागत
Share This Article
Leave a Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement