आगरा: सीएमओ डॉक्टर अरुण श्रीवास्तव और उनके सहयोगियों की मुश्किलें एक नई मोड़ पर पहुँच गई हैं। आरोप है कि डॉक्टर अरुण श्रीवास्तव, डिप्टी सीएमओ डॉक्टर नंदन सिंह, महिला डॉक्टर भाग्यश्री और लिपिक मनीष निगम ने एक अधिवक्ता से रिश्वत की मांग की और मारपीट की। इस मामले में सीजेएम कोर्ट द्वारा पारित आदेश को रिवीजन सेशन कोर्ट ने निरस्त कर दिया है, जिससे इन आरोपियों की मुश्किलें और भी बढ़ गई हैं।
मामला क्या है?
वरिष्ठ अधिवक्ता राजेंद्र गुप्ता धीरज ने सीजेएम कोर्ट में एक आवेदन प्रस्तुत किया था जिसमें उन्होंने बताया कि उनकी पुत्री गर्विता ने अपनी मृतक मां पुलिस इंस्पेक्टर श्रीमती शकुंतला गुप्ता की मृत्यु के बाद पुलिस में अनुकम्पा नौकरी के लिए आवेदन किया था। लेकिन जब मेडिकल जांच के लिए डॉक्टर अरुण श्रीवास्तव और अन्य आरोपीगण से संपर्क किया गया, तो उनसे नौकरी दिलाने के बदले रुपये की मांग की गई।
अधिवक्ता ने जब इस घृणित प्रस्ताव का विरोध किया, तो आरोप है कि डॉक्टर अरुण श्रीवास्तव, डिप्टी सीएमओ डॉक्टर नंदन सिंह, महिला डॉक्टर भाग्यश्री और लिपिक मनीष निगम ने उनके साथ मारपीट की और जान से मारने की धमकी दी। इस पर अधिवक्ता ने सीजेएम कोर्ट में मामला दर्ज करवाया और आरोपीगण के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की।
सीजेएम कोर्ट का आदेश
सीजेएम कोर्ट ने चारों आरोपियों को धारा 223 बी एन एस के तहत नोटिस जारी कर कोर्ट में तलब किया। हालांकि, नोटिस भेजने के बावजूद आरोपी कोर्ट में उपस्थित नहीं हुए। इसके बाद, अधिवक्ता राजेंद्र गुप्ता धीरज के आग्रह पर सीजेएम कोर्ट ने चारों आरोपियों को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में उपस्थित होने के लिए कहा।
सीजेएम कोर्ट में आरोपियों ने इस मामले का विरोध किया और अंततः 3 अगस्त 2024 को सीजेएम ने अधिवक्ता द्वारा दायर किए गए आवेदन को निरस्त कर दिया।
रिवीजन सेशन कोर्ट का निर्णय
अधिवक्ता राजेंद्र गुप्ता धीरज ने सीजेएम के इस आदेश के खिलाफ रिवीजन सेशन कोर्ट में अपील की। इस पर स्पेशल जज दस्यु प्रभावित क्षेत्र, दिनेश तिवारी ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद सीजेएम द्वारा पारित आदेश को निरस्त कर दिया। रिवीजन कोर्ट ने अधिवक्ता की रिवीजन स्वीकार करते हुए अधीनस्थ न्यायालय को पुनः सुनवाई करने और उचित धाराओं में आदेश पारित करने का निर्देश दिया।
आरोपियों की मुश्किलें बढ़ी
रिवीजन सेशन कोर्ट के आदेश से सीएमओ डॉक्टर अरुण श्रीवास्तव और उनके सहयोगियों के लिए समस्या और बढ़ गई है। अब, इन्हें पुनः कोर्ट में उपस्थित होकर इस मामले में अपना पक्ष रखना होगा। साथ ही, अदालत ने अधीनस्थ न्यायालय को आदेश दिया है कि वह इस मामले में उचित धाराओं में निर्णय पारित करें, जो आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की ओर इशारा करता है।