जैथरा (एटा) नगर पंचायत जैथरा एक बार फिर चर्चा में है। कारण है—बीते वित्तीय वर्ष 18 – 19 में लाखों रुपए खर्च कर बनाया गया सामुदायिक शौचालय, जिसे अब खुद नगर पंचायत ने तोड़ने का काम शुरू करा दिया है। रोजमर्रा की जरूरत से जुड़ा मामला होने के कारण नगर में चर्चाओं का बाजार गर्म है। लोगों के मन में सवाल है कि आखिर जब शौचालय पूरी तरह से क्रियाशील था, तो फिर उसे हटवाने की नौबत क्यों आई?
नगरवासियों का आरोप है कि यह जनता के पैसे की बर्बादी है। उनका कहना है कि जब कुछ समय पहले ही लाखों रुपये खर्च कर शौचालय बनवाया गया था, और वह पूरी तरह से उपयोग में भी था, तो अब उसे ध्वस्त करना समझ से परे है। सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या कोई तकनीकी खामी पाई गई थी, या फिर किसी दबंग या रसूखदार की मर्जी के चलते इसका स्थान बदला जा रहा है?
पूरे मामले में सबसे बड़ी बात यह है कि नगर पंचायत की ओर से अब तक कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया गया है कि शौचालय को क्यों तोड़ा गया और नई जगह पर दोबारा निर्माण की जरूरत क्यों पड़ी। नगर के लोगों का कहना है कि अगर निर्माण में कोई तकनीकी कमी थी, तो उसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए।
नगर के आम लोगों में इसको लेकर भारी नाराजगी है। कुछ लोगों ने सोशल मीडिया के माध्यम से नगर पंचायत की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं और मांग की है कि इस पूरे मामले की जांच होनी चाहिए। वहीं कई लोगों का कहना है कि यह मामला केवल एक शौचालय का नहीं, सरकारी धन की बर्बादी और जवाबदेही का है।
इस मामले पर नगर के कुछ प्रबुद्ध लोगों का कहना है कि नगर पंचायत को इस फैसले को लेकर पारदर्शिता बरतनी चाहिए। जनता को यह जानने का हक है कि क्यों और किस आधार पर पहले से बने शौचालय को तोड़कर दोबारा बनाने का फैसला लिया गया।
जैथरा का आम आदमी जानना चाहता है — सच आखिर है क्या?