बिहार में कांग्रेस के नेता राहुल गांधी की सक्रियता के कारण, निश्चित रूप से बिहार कांग्रेस का कार्यकर्ता सक्रिय हुआ है, मगर बिहार कांग्रेस के नेता अभी भी, अपने राजनीतिक अस्तित्व को बचाने के लिए उधेड़ बुन में लगे हुए हैं, दिल्ली में बैठकर राहुल गांधी को ज्ञान बांटने वाले नेता, बिहार का दौरा कर, राहुल गांधी को यह समझाने की कोशिश ना करें कि, बिहार में राहुल गांधी की सक्रियता के कारण, राहुल गांधी ने बिहार में लोकप्रियता के नाम पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पीछे छोड़ दिया, राहुल गांधी की बिहार में बढ़ती लोकप्रियता के कारण आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की बल्ले बल्ले हो जाएगी ! राहुल गांधी को स्वयं इतिहास के पन्नों को खोलकर देखना होगा, जब भी किसी राज्य के विधानसभा चुनाव की तारीख नजदीक आती है, तब राजनीतिक गलियारों और मीडिया के भीतर कांग्रेस को भाजपा से ऊपर बताया और दिखाया जाता है, और लगता है कि भाजपा बुरी तरह से चुनाव हार जाएगी और कांग्रेस प्रचंड बहुमत के साथ अपनी सरकार बनाएगी लेकिन जब परिणाम आता है तो सब कुछ उल्टा नजर आता है, भाजपा प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाती है, और कांग्रेस बुरी तरह से चुनाव हारती है, यह नजारा राजस्थान मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ पंजाब महाराष्ट्र और दिल्ली में देखा है !
जब भी राज्यों के विधानसभा चुनाव हुए हैं तब मैंने अपने ब्लॉग में लिखा है कि कांग्रेस के नेता भाजपा के रणनीतिकारों के जाल में न फंसे और इस मुगालते में ना रहे की कांग्रेस की लोकप्रियता भाजपा से अधिक है और कांग्रेस भाजपा को आसानी हरा देगी ! राहुल गांधी को कांग्रेस के वार रूम पर, गंभीर नजर रखनी होगी, कांग्रेस और राहुल गांधी की लोकप्रियता, को लेकर कहीं यह बिहार में भ्रम तो नहीं फैलाया जा रहा है, और कांग्रेस अति उत्साहित होकर पूर्व की भांति बिहार में भी वही गलती दोहरा दे जो गलती उन्होंने राजस्थान मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ पंजाब महाराष्ट्र और दिल्ली में की थी ! यह मैं इसलिए कह रहा हूं क्योंकि मैंने कांग्रेस को राहुल गांधी और कांग्रेस की पड़ती लोकप्रियता के बावजूद कांग्रेस को बुरी तरह से राज्यों के विधानसभा चुनाव हार हुए देखा है! क्या कारण है कि कांग्रेस और राहुल गांधी की बढ़ती लोकप्रियता के बावजूद कांग्रेस लगातार राज्यों में विधानसभा के चुनाव हार रही है, जब कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकार वार रूम में बैठकर पार्टी की बड़ी रकम खर्च कर चुनावी योजना बनाते हैं, मगर चुनाव परिणाम निराशाजनक आता है ! क्या कभी राहुल गांधी ने इसकी गंभीरता से समीक्षा की है और क्या राहुल गांधी कभी इसकी गंभीरता से समीक्षा करेंगे, क्योंकि लंबे समय से वार रूम में बैठे रणनीतिकारों पर कांग्रेस और राहुल गांधी भरोसा कर रहे हैं लेकिन क्या वह वार रूम में बैठे रणनीतिकार राहुल गांधी और कांग्रेस के भरोसे पर खरे उतर रहे हैं इसका आकलन होना चाहिए क्योंकि कांग्रेस के भीतर जब से वार रूम मैं बैठकर चुनावी रणनीति बनानी शुरू हुई है तब से कांग्रेस एक के बाद एक विधानसभा का चुनाव हार रही है! इससे कांग्रेस आर्थिक रूप से भी खाली होती जा रही है !
बिहार में कांग्रेस को इस मुगाल ते में कतई नहीं रहना चाहिए कि बिहार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अधिक लोकप्रिय राहुल गांधी हैं बल्कि बिहार में राहुल गांधी को स्वयं निरंतर मेहनत करने की जरूरत है क्योंकि सच्चाई यह है कि बिहार में कांग्रेस के पास जीतने वाले उम्मीदवारों की अभी भी बड़ी कमी है ! बड़ा सवाल यह है कि कांग्रेस और राहुल गांधी को अपनी बढ़ती हुई लोकप्रियता पर नहीं जाकर, बिहार में जमीनी हकीकत को जान कर योजना बनाएं और जीतने के लिए चुनाव लड़े, क्योंकि बिहार में भाजपा नीत गठबंधन को हराना इतना आसान नहीं है, इंडिया गठबंधन जब एक साथ मजबूती और सतर्क रह कर चुनाव लड़ेगा तब कांग्रेस को सफलता मिलेगी !
पूर्व अध्यक्ष छात्र संघ
बुन्देलखण्ड विश्व विद्यालय, झांसी
( लेखक -स्वतंत्र टिप्पणी कार हैं)