एटा। रेलवे पुल के पास लगातार जलाए जा रहे कूड़े से उठने वाला जहरीला धुआं यहां के वाशिंदों के लिए गंभीर स्वास्थ्य खतरा बनता जा रहा है। खासकर असरौली, संगम विहार कॉलोनी और जीटी रोड के किनारे रहने वाले लोग इस जहरीले धुएं से सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं। बावजूद इसके, प्रशासन की ओर से इस समस्या को रोकने के लिए कोई खास ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
लोगों की सेहत पर प्रतिकूल असर
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह धुआं सुबह-शाम पूरे क्षेत्र में फैल जाता है, जिससे सांस लेने में दिक्कत होती है। कई लोगों में खांसी, अस्थमा और फेफड़ों से जुड़ी अन्य बीमारियों के लक्षण देखे जा रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि इस तरह के जहरीले धुएं के लंबे समय तक संपर्क में रहने से गंभीर बीमारियां हो सकती हैं, जिनमें फेफड़ों के संक्रमण, ब्रोंकाइटिस और यहां तक कि कैंसर जैसी घातक समस्याएं भी शामिल हैं।
प्रशासन की अनदेखी, लोगों में आक्रोश
कई बार प्रशासन से इस समस्या की शिकायत की, लेकिन कोई कारगर तरीका नहीं अपनाया गया। संगम विहार निवासी सुनील कुमार का कहना है, हम रोज इस जहरीले धुएं को झेल रहे हैं। बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह सबसे ज्यादा खतरनाक है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही।
हानिकारक गैसों का उत्सर्जन
विशेषज्ञों के अनुसार, खुले में कूड़ा जलाने से कार्बन मोनोऑक्साइड, डाइऑक्सिन्स और फ्यूरान्स जैसी जहरीली गैसें निकलती हैं, जो न केवल इंसानों बल्कि पूरे पर्यावरण के लिए खतरनाक होती हैं। उत्तर प्रदेश में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड होने के बावजूद, इस तरह के खुले में कूड़ा जलाने की घटनाओं पर रोक नहीं लग पाना पर्यावरणीय सुरक्षा उपायों पर सवाल खड़े करता है।
स्थानीय प्रशासन को जगाने की जरूरत
इस गंभीर समस्या के बावजूद प्रशासन की चुप्पी जनता के लिए चिंता का विषय बन गई है। यदि समय रहते इस पर कार्रवाई नहीं हुई, तो आने वाले समय में यह न केवल स्वास्थ्य संकट बन सकता है, बल्कि पर्यावरणीय आपदा का रूप भी ले सकता है। स्थानीय लोगों ने मांग की है कि प्रशासन जल्द से जल्द इस समस्या पर ध्यान दे और नगर से निकलने वाले अपशिष्ट/कूड़ा जलाने की घटनाओं पर सख्ती से रोक लगाए।