झांसी: मऊरानीपुर तहसील के ग्राम कचनेव में चकबंदी प्रक्रिया को निरस्त करने की मांग को लेकर सैकड़ों किसान और ग्रामवासी पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन के नेतृत्व में लामबंद हो गए। किसानों ने जिलाधिकारी कार्यालय का घेराव कर हल्ला बोल मोर्चा खोल दिया और धरना प्रदर्शन किया। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने ग्राम कचनेव में चकबंदी प्रक्रिया को पूरी तरह से निरस्त करने की अनुमति देने की मांग की।
धरना प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि सहायक चकबंदी अधिकारी श्री श्रीपाल सिंह ने चकबंदी समिति के अध्यक्ष और सदस्यों की सहमति के बिना ही चकबंदी कार्यवाही रजिस्टर तैयार कर दिया, जिस पर चकबंदी समिति के अध्यक्ष या किसी भी सदस्य के हस्ताक्षर नहीं हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि यह रजिस्टर फर्जी तारीख 06.02.2019 को तैयार किया गया है, जो पूरी तरह से गलत है।
किसानों ने यह भी आरोप लगाया कि आधार पत्र 2 ए में पूरी जमीन नहर से सिंचित बताई गई है, जबकि चकबंदी अधिनियम के नियम 24 ए के द्वितीय में उल्लिखित सिद्धांतों का पालन नहीं किया गया है। चकबंदी अधिनियम की धारा-8 के तहत पूरे गांव में किसी भी किसान को चकों तक पानी पहुंचाने के लिए नाली, गूल या वॉटर कैनाल नहीं दी गई है, जिससे सिंचाई की व्यवस्था प्रभावित होगी।
ग्रामवासियों ने बताया कि कचनेव तालाब से पूरे गांव की सिंचाई होती है और शासन की ओर से केन-बेतवा परियोजना भी अंतिम चरण में है, जिससे कचनेव, मगरवारा और कुरैचा बांध पानी से भरे जाएंगे। लेकिन किसानों को चकों तक नालियां न दिए जाने से तालाबों के पानी का सदुपयोग नहीं हो पाएगा।
किसानों ने यह भी आरोप लगाया कि ग्राम वासियों से रूखबंदी लिए बिना ही चकों का आवंटन कर दिया गया है। छोटे किसानों को तीन-तीन, चार-चार चक दे दिए गए हैं। ग्राम कचनेव उत्तर की तरफ पहाड़ों से घिरा हुआ है और यहां की भूमि ऊबड़-खाबड़ और ढलान युक्त है। लगभग 5 प्रतिशत भूमि ही समतल है, इसलिए चकबंदी योग्य भूमि न होने के कारण चकबंदी प्रक्रिया को निरस्त करना आवश्यक है, अन्यथा ग्राम वासियों को भारी नुकसान होगा, जिसकी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।
प्रदर्शनकारियों ने यह भी मांग की कि सार्वजनिक आबादी, हरिजन आबादी, खाद के गड्ढे, खेल के मैदान, पंचायत घर, विद्यालयों हेतु, श्मशान घाट और कब्रिस्तान के लिए भूमि आरक्षित नहीं की गई है और न ही अस्पताल के लिए कोई उचित भूमि छोड़ी गई है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन ने कहा कि प्रशासन को किसानों की मांगों पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और कचनेव में चकबंदी प्रक्रिया को तुरंत निरस्त करना चाहिए ताकि किसानों को और अधिक नुकसान से बचाया जा सके। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि प्रशासन ने उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया तो किसान आंदोलन को और तेज करेंगे।