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शैक्षिक महासंघ की मांग: शिक्षा सत्र बदलो, MLC चुनाव लड़ेंगे!

Rajesh kumar
3 Min Read
शैक्षिक महासंघ की मांग: शिक्षा सत्र बदलो, MLC चुनाव लड़ेंगे!

आगरा: राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तर प्रदेश ने शिक्षा सत्र में बदलाव की पुरजोर मांग उठाई है। महासंघ का कहना है कि वर्तमान शिक्षा सत्र 1 अप्रैल से 31 मार्च तक शिक्षकों और छात्रों दोनों के लिए अनुपयोगी है। लखनऊ में 11 मई को संपन्न हुई प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में इस मुद्दे पर गहन मंथन किया गया। बैठक में यह भी तय किया गया कि महासंघ दिसंबर 2026 में होने वाले उत्तर प्रदेश विधान परिषद (MLC) के शिक्षक और स्नातक खंड के चुनावों में अपने प्रत्याशी उतारेगा।

बैठक से आगरा लौटे वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ. देवी सिंह नरवार ने बताया कि महासंघ की प्रदेश कार्यसमिति का निर्वाचन 13 जुलाई को लखनऊ में होगा। बैठक में पारित प्रस्ताव के अनुसार, अप्रैल से सितंबर तक छात्रों के देर से नामांकन, अर्धवार्षिक परीक्षाओं का समय और सीमित शिक्षण अवधि पढ़ाई को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है। इसलिए, महासंघ सरकार से शिक्षा सत्र को पहले की तरह 1 जुलाई से 30 जून तक करने की मांग करेगा।

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बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि प्राथमिक, माध्यमिक, उच्च शिक्षा और तकनीकी शिक्षा संवर्ग की समस्याओं को अलग-अलग ज्ञापनों के माध्यम से मुख्यमंत्री तक पहुंचाया जाएगा। इसके अतिरिक्त, प्रदेश के प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापकों, प्रवक्ताओं और प्रधानाचार्यों के रिक्त पदों पर शीघ्र नियुक्ति की मांग भी प्रमुखता से उठाई गई।

MLC चुनाव में ताल ठोकने की तैयारी

डॉ. नरवार ने बताया कि उन्होंने बैठक में दिसंबर 2026 में होने वाले MLC के शिक्षक और स्नातक खंड के चुनावों में महासंघ द्वारा अपने प्रत्याशी उतारने का प्रस्ताव रखा, जिसे सर्वसम्मति से समर्थन मिला। इस प्रस्ताव को आगामी बैठक में अंतिम रूप दिया जाएगा, जिससे महासंघ की चुनावी भागीदारी सुनिश्चित हो सके।

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भविष्य की कार्ययोजना

महासंघ ने अपने स्थायी आयोजनों, जैसे ‘गुरु वंदन’, स्थापना दिवस (8 नवंबर) और ‘कर्तव्य बोध’ कार्यक्रमों को पूरे प्रदेश में भव्य रूप से मनाने का भी निर्णय लिया है। नई कार्यसमिति के गठन के बाद जनपदीय, मंडलीय और प्रादेशिक सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे। बैठक में आगरा से डॉ. के.पी. सिंह को साधारण सभा का सदस्य मनोनीत किया गया। इन निर्णयों से स्पष्ट है कि राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तर प्रदेश न केवल शिक्षकों की समस्याओं को उठाने के लिए प्रतिबद्ध है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था में सुधार और राजनीतिक प्रतिनिधित्व के लिए भी सक्रिय भूमिका निभाने की तैयारी में है।

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