आगरा। ऐतिहासिक विरासतों को संजोने और संरक्षित करने की दिशा में सिविल सोसायटी ऑफ आगरा ने एक महत्वपूर्ण पहल की है। संस्था ने महाराणा संग्राम सिंह (राणा सांगा) के खनुआ स्थित स्मारक को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने तथा खनुआ बांध को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संरक्षित स्थलों की सूची में शामिल करने की आधिकारिक मांग की है।
राणा सांगा स्मारक: वीरता और इतिहास का प्रतीक
राजस्थान और उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे सिरौली गांव से लगभग 900 मीटर की दूरी पर स्थित खनुआ (या खानवा) का मैदान ऐतिहासिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यहीं पर राणा सांगा और बाबर के मध्य ऐतिहासिक युद्ध हुआ था। आज भी वहाँ राणा संग्राम सिंह की प्रतिमा के साथ-साथ हसन खां मेवाती और चंदेरी के मेदिनी राय की प्रतिमाएं स्थापित हैं — जो राणा सांगा के साथ मिलकर बाबर से लड़े थे।
खनुआ बांध: ऐतिहासिक स्मारक का अभिन्न हिस्सा
सिविल सोसायटी ऑफ आगरा के अनुसार, स्मारक की पृष्ठभूमि में स्थित विशाल ‘खनुआ बांध’ सिर्फ एक जल संरचना नहीं, बल्कि ऐतिहासिक दृष्टि से भी स्मारक का एक अभिन्न भाग है। संस्था ने बताया कि यह बांध सरदार सरोवर से भी अधिक क्षेत्र में फैला हुआ है, किंतु राजस्थान सिंचाई विभाग द्वारा इसे जलशून्य रखा गया है। स्मारक की मूल योजना भी इसी बांध को ध्यान में रखकर तैयार की गई थी।
संस्था की ओर से उठाई गई मांगें
सिविल सोसायटी ऑफ आगरा के अध्यक्ष डॉ. शिरोमणि सिंह, सेक्रेटरी अनिल शर्मा, राजीव सक्सेना और असलम सलीमी ने निम्नलिखित मांगें रखीं:
-
महाराणा संग्राम सिंह स्मारक को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया जाए।
-
खनुआ बांध को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संरक्षित स्थलों की सूची में शामिल किया जाए।
-
खनुआ बांध को पुनः जलयुक्त किया जाए।
-
राजस्थान सरकार और भारत सरकार को इस दिशा में आवश्यक कदम उठाने चाहिए।
-
सभी राजनीतिक और सामाजिक संगठनों से अपील की गई कि वे इस मुद्दे को मंचों और संसद तक ले जाएं।
इतिहास से जुड़ाव, भविष्य की पहचान
सिविल सोसायटी का मानना है कि राणा सांगा जैसे वीर योद्धा की स्मृति में बना यह स्थल आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकता है। उनके बलिदान और संघर्ष की गाथा को सुरक्षित रखने के लिए यह आवश्यक है कि स्मारक और उससे जुड़ी संरचनाओं को विधिवत संरक्षित किया जाए।