“आगरा में वायुसेना के परिसरों और सिविल एन्क्लेव के आसपास की अवस्थापनाओं को लेकर राज्यसभा सदस्य नवीन जैन ने बल्हेरा, अभयपुरा और धनौली को अलग स्वशासित निकाय बनाने की मांग की है। पढ़ें इस विस्तृत रिपोर्ट में इन क्षेत्रों के विकास और नागरिकों की सुविधाओं के लिए उठाए गए कदम।”
आगरा में शिफ्टिंग प्रोजेक्ट के तहत एयरपोर्ट अथॉरिटी द्वारा बनाए जा रहे सिविल एन्क्लेव और वायुसेना के परिसरों के आसपास के इलाकों में नागरिकों की सुविधाएं अब एक सामायिक जरूरत बन गई हैं। इन क्षेत्रों की अवस्थापनात्मक जरूरतों और पर्यावरण अनुकूल विकास को ध्यान में रखते हुए बल्हेरा, अभयपुरा और धनौली को नगर निगम में शामिल करने की बजाय अलग स्वशासित निकाय बनाए जाने की मांग जोर पकड़ रही है।
🔍 नवीन जैन का बयान: सैन्य और नागरिक क्षेत्र के संतुलन की आवश्यकता
राज्यसभा सदस्य एवं रक्षा मंत्रालय से संबद्ध समिति के सदस्य श्री नवीन जैन ने कहा कि, “सिविल एन्क्लेव और एयरफोर्स बेस के आसपास के क्षेत्र भले ही नागरिक क्षेत्र हों, लेकिन ये सैन्य दृष्टि से संवेदनशील जोन हैं। इन क्षेत्रों में साफ-सफाई, जल निकासी, प्रस्तावित नालों का समुचित डिस्पोजल और पर्यावरण-अनुकूल अवस्थापनाएं न सिर्फ सेना के लिए बल्कि स्थानीय नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता के लिए भी आवश्यक हैं।”
श्री जैन ने बताया कि वह इस विषय में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखेंगे, साथ ही नगर निगम मेयर और जिला पंचायत अध्यक्ष को भी पत्र भेजकर अपने-अपने दायित्वों के निर्वहन की मांग करेंगे।
🧱 अलग शहरी निकाय की मांग: नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा का सवाल
सिविल सोसायटी ऑफ आगरा के प्रतिनिधि मंडल ने नवीन जैन से मुलाकात कर बल्हेरा, अभयपुरा और धनौली को नगर निगम सीमा में शामिल करने का विरोध किया। उनका कहना है कि इन गांवों को अलग स्वशासित शहरी निकाय घोषित किया जाए, ताकि ग्रामीण नागरिकों को केंद्र और राज्य सरकार की मनरेगा, पीएम किसान सम्मान निधि, राशन, बीमा और अन्य जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिलता रहे।
विशेष रूप से धनौली, जो पहले से ही एक Census Town (CT) है, उसके साथ आसपास की ग्राम सभाओं को मिलाकर नया निकाय बनाने की मांग की गई है।
💬 कृषि श्रमिकों और लघु कारोबारियों के सामने रोजगार संकट
सिविल सोसाइटी के सदस्यों ने बताया कि एयरपोर्ट प्रोजेक्ट के लिए जिन किसानों की जमीन ली गई उन्हें तो मुआवजा मिला, लेकिन कृषि श्रमिकों, छोटे व्यवसायियों और दस्तकारों के सामने रोजगार का संकट उत्पन्न हो गया है। उनके पास अब कोई स्थायी आजीविका का साधन नहीं बचा है।
प्रतिनिधि मंडल में शामिल डा. शिरोमणी सिंह (पूर्व पार्षद), अनिल शर्मा (सचिव), राजीव सक्सेना और असलम सलीमी ने स्पष्ट किया कि यदि ये गांव नगर निगम में मिलते हैं, तो वहां गृहकर, जलकर, सीवर टैक्स जैसे शहरी कर लग जाएंगे, जिससे ग्रामीणों पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा।
🌱 सामाजिक विकास बनाम सैन्य संवेदनशीलता: संतुलन की तलाश
श्री जैन ने यह भी माना कि इन क्षेत्रों में रहने वाले नागरिकों को पहले से ही कई प्रकार की सुरक्षा संबंधी पाबंदियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में सुखद और सुविधाजनक अवस्थापनाएं उपलब्ध कराना सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी होनी चाहिए।
सिविल एन्क्लेव आगरा और इसके आसपास के गांवों की अवस्थापनात्मक आवश्यकताओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। जहां एक ओर राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोपरि है, वहीं दूसरी ओर स्थानीय नागरिकों का जीवन स्तर, अधिकार और आजीविका भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं।
सरकार को चाहिए कि इस विषय में एक संतुलित और सहभागी दृष्टिकोण अपनाकर सभी पक्षों की समस्याओं का समाधान करे। उम्मीद की जा रही है कि श्री जैन के प्रयासों से यह मुद्दा सरकार के समक्ष गंभीरता से उठेगा।