आगरा: केंद्रीय नेतृत्व के आवाहन पर विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने आगरा कमिश्नरी पर जोरदार प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन तिरुपति बालाजी मंदिर में भक्तों को वितरित किए गए प्रसाद में सूअर और मछली के तेल मिलाने की घटना के खिलाफ था, जिससे देश और विश्व के करोड़ों हिंदुओं की भावनाएं आहत हुई थीं। कार्यकर्ताओं ने महामहिम राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन मंडल आयुक्त को सौंपा।
प्रदर्शन की विशेषताएं
प्रदर्शन के दौरान हजारों की संख्या में कार्यकर्ता लाल बहादुर शास्त्री चौक से जय घोष लगाते हुए कमिश्नरी पहुंचे। प्रांत उपाध्यक्ष सुनील पाराशर ने कहा कि यह गौर करने वाली बात है कि भारत में मस्जिदों और चर्चों पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है, लेकिन मंदिरों के मामले में सरकार ने भेदभावपूर्ण नीति अपनाई है।
ऐतिहासिक संदर्भ
प्रांत संगठन मंत्री राजेश कुमार ने इस मामले को अंग्रेजी शासन के समय से जोड़ा। उन्होंने कहा कि उस समय से ही मंदिरों और उनकी संपत्तियों पर सरकारी नियंत्रण का सिलसिला शुरू हुआ। इस नीति का उद्देश्य मंदिरों की संपत्ति को लूटना और श्रद्धालुओं से वसूली करना था। उन्होंने यह भी कहा कि आजादी के बाद भी सरकारों ने इस प्रणाली को नहीं बदला, जिससे मंदिरों पर नियंत्रण और भी बढ़ गया।
सरकारी नियंत्रण पर आपत्ति
कार्यकर्ताओं ने यह भी आरोप लगाया कि मंदिरों पर आने वाले दान का उपयोग धार्मिक कार्यों के बजाय अन्य खर्चों में किया जाता है, जो पूरी तरह अनुचित है। प्रदर्शन के अंत में अपर आयुक्त प्रशासन राजेश कुमार को महामहिम राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन दिया गया।
जिला मंत्री की मांग
बजरंग दल के जिला मंत्री करन गर्ग ने कहा, “सरकार को तुरंत मंदिरों से अपना अधिकार हटाना चाहिए ताकि भविष्य में कोई फिर से प्रसाद में चर्बी मिलाने की हिम्मत न करे।” उन्होंने मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की और कहा कि दोषियों को फांसी की सजा दी जाए। करन गर्ग ने चेतावनी दी कि यह केवल शुरुआत है और आगे और लड़ाई जारी रहेगी।
इस प्रदर्शन ने आगरा में धार्मिक भावनाओं और मंदिरों के अधिकारों को लेकर एक महत्वपूर्ण चर्चा को जन्म दिया है। सभी की नजर अब इस मुद्दे पर प्रशासन की कार्रवाई पर है।