कालाबाजारी में जब्त सरकारी चावल की सुपुर्दगी में विभागीय अधिकारियों पर नियमों की अनदेखी का आरोप

Jagannath Prasad
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पड़ोसी राशन डीलरों से संपर्क किए बिना नगर पंचायत के डीलर को सौंपा चावल

एसडीएम को शिकायत देकर जांच और कार्रवाई की मांग की

सात दिन से फरार राशन माफियाओं को पुलिस नहीं तलाश पाई

किरावली। थाना अछनेरा के गांव रायभा में लंबे समय से राशन माफिया द्वारा सरकारी चावल की कालाबाजारी की जा रही थी। एजेंटों के माध्यम से संचालित सिंडिकेट सरकारी चावल की खरीदारी करके ऊंची कीमतों पर प्रांतों में सप्लाई कर रहा था। हाल ही में, डीएसओ संजीव मिश्रा ने इस नेटवर्क को ध्वस्त करते हुए छापेमारी की और 279 क्विंटल चावल जब्त किया। इस मामले में सरगना मनीष अग्रवाल और सुमित अग्रवाल के खिलाफ गंभीर आरोपों के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।

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बताया जा रहा है कि जब्त किए गए सरकारी चावल की सुपुर्दगी में स्थानीय आपूर्ति विभाग के अधिकारियों पर नियमों की अनदेखी का आरोप है। गांव मंगूरा निवासी सतेंद्र पुत्र उदयभान सिंह ने एसडीएम किरावली को शिकायत देकर पूरे मामले की जांच और कार्रवाई की मांग की है। सतेंद्र का कहना है कि नियमानुसार, जिस गांव में सरकारी राशन का जखीरा पकड़ा जाता है, उसकी सुपुर्दगी उसी गांव के राशन डीलर को दी जानी चाहिए। अगर वह असमर्थ हो, तो ग्राम पंचायत और फिर ब्लॉक के राशन डीलरों को सूचित किया जाना चाहिए। लेकिन विभागीय अधिकारियों ने कथित रूप से नगर पंचायत किरावली के राशन डीलर को सुपुर्दगी दी, जो पहले भी सरकारी राशन की जिम्मेदारी में विफल रहे हैं। सतेंद्र ने इस प्रकरण की गहन जांच की मांग की है।

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पुरानी सपुर्दगी का मांगा जवाब

सतेंद्र ने सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत किरावली तहसील के आपूर्ति विभाग से 1990 से 2004 तक जब्त सरकारी राशन की सुपुर्दगी की प्रमाणित प्रति और यह भी पूछा है कि जिन विक्रेताओं ने जब्त राशन को पुरानी या नई चौहद्दी में रखा है, उसकी प्रमाणित प्रति भी प्रदान की जाए।

राशन माफिया के नेटवर्क की होनी लगी चर्चा

राशन माफिया के नेटवर्क के बारे में चर्चा बढ़ रही है। मनीष अग्रवाल और सुमित अग्रवाल अधिकारियों के संपर्क के बल पर अपने गोरखधंधे को अंजाम दे रहे थे। छापेमारी के बाद से ये दोनों फरार हैं, और क्षेत्रीय पुलिस उन्हें नहीं तलाश पाई है। जिला मुख्यालय पर तैनात एक महिला अधिकारी के अफसर पति से सुमित अग्रवाल के संबंध होने के कारण मोटा खेल चल रहा था, जिसकी गूंज अब क्षेत्र में सुनाई देने लगी है। स्थानीय आपूर्ति विभाग के अधिकारियों पर भी शक की सुई घूम रही है।

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