सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर गंदगी और कुत्ते का शव: स्वच्छता मिशन की खुली पोल

Pradeep Yadav
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जैथरा (एटा)। आदर्श नगर पंचायत जैथरा में स्वच्छता मिशन की हकीकत का भंडाफोड़ होता दिख रहा है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) के गेट पर फैली गंदगी और कई दिनों से पड़ा एक कुत्ते का शव इस बात की गवाही दे रहा है कि सफाई व्यवस्था के दावों की हकीकत क्या है।

गेट पर पड़े कुत्ते के शव से न केवल दुर्गंध फैल रही है, बल्कि स्वास्थ्य केंद्र आने वाले मरीजों और उनके परिजनों को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। आसपास के लोगों का कहना है कि सफाई कर्मचारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। शव कई दिन पुराना है, उसको उठाने की ज़रूरत महसूस नहीं की गई, जिससे साफ है कि प्रशासन और जिम्मेदार अधिकारी स्वच्छता के प्रति गंभीर नहीं हैं।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत स्वच्छता के लिए आवंटित फंड का सही उपयोग नहीं हो रहा है। लोगों का आरोप है कि सरकारी कर्मचारी और संबंधित अधिकारी सिर्फ कागजों में स्वच्छता अभियान चला रहे हैं, जबकि जमीनी हकीकत बिल्कुल अलग है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी गंदगी न केवल संक्रामक रोगों के फैलने का कारण बन सकती है, बल्कि स्वास्थ्य केंद्र के मरीजों और कर्मचारियों के लिए भी गंभीर स्वास्थ्य संकट पैदा कर सकती है।

यह घटना स्वच्छ भारत मिशन के लक्ष्यों और वास्तविकता के बीच की खाई को उजागर करती है। सवाल यह है कि क्या सरकार द्वारा स्वच्छता के नाम पर दिया जाने वाला फंड सही जगह इस्तेमाल हो रहा है, या फिर यह भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहा है?
आदर्श नगर पंचायत जैथरा में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के बाहर की यह स्थिति न केवल स्वच्छता अभियान की विफलता को उजागर करती है, बल्कि यह सवाल खड़ा करती है कि ऐसे हालात में कैसे स्वच्छ भारत का सपना साकार होगा। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस पर कब और क्या कदम उठाता है।

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जैथरा (एटा)। आदर्श नगर पंचायत जैथरा में स्वच्छता मिशन की हकीकत का भंडाफोड़ होता दिख रहा है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) के गेट पर फैली गंदगी और कई दिनों से पड़ा एक कुत्ते का शव इस बात की गवाही दे रहा है कि सफाई व्यवस्था के दावों की हकीकत क्या है।गेट पर पड़े कुत्ते के शव से न केवल दुर्गंध फैल रही है, बल्कि स्वास्थ्य केंद्र आने वाले मरीजों और उनके परिजनों को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। आसपास के लोगों का कहना है कि सफाई कर्मचारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। शव कई दिन पुराना है, उसको उठाने की ज़रूरत महसूस नहीं की गई, जिससे साफ है कि प्रशासन और जिम्मेदार अधिकारी स्वच्छता के प्रति गंभीर नहीं हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत स्वच्छता के लिए आवंटित फंड का सही उपयोग नहीं हो रहा है। लोगों का आरोप है कि सरकारी कर्मचारी और संबंधित अधिकारी सिर्फ कागजों में स्वच्छता अभियान चला रहे हैं, जबकि जमीनी हकीकत बिल्कुल अलग है।स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी गंदगी न केवल संक्रामक रोगों के फैलने का कारण बन सकती है, बल्कि स्वास्थ्य केंद्र के मरीजों और कर्मचारियों के लिए भी गंभीर स्वास्थ्य संकट पैदा कर सकती है।यह घटना स्वच्छ भारत मिशन के लक्ष्यों और वास्तविकता के बीच की खाई को उजागर करती है। सवाल यह है कि क्या सरकार द्वारा स्वच्छता के नाम पर दिया जाने वाला फंड सही जगह इस्तेमाल हो रहा है, या फिर यह भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहा है? आदर्श नगर पंचायत जैथरा में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के बाहर की यह स्थिति न केवल स्वच्छता अभियान की विफलता को उजागर करती है, बल्कि यह सवाल खड़ा करती है कि ऐसे हालात में कैसे स्वच्छ भारत का सपना साकार होगा। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस पर कब और क्या कदम उठाता है।
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