आगरा, उत्तर प्रदेश: यमुना नदी के तटीय गांव रहन कलां में शुरू होने जा रहे ‘रेनीवैल’ प्रोजेक्ट को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। इस परियोजना के तहत बड़े पैमाने पर भूगर्भ जल दोहन की तैयारी है, लेकिन इसके संभावित पर्यावरणीय प्रभावों और स्थानीय जल-तंत्र पर पड़ने वाले असर को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं। जिला पंचायत अध्यक्ष डॉ. मंजू भदौरिया ने सिंचाई विभाग से आईआईटी रुड़की द्वारा तैयार की गई अध्ययन रिपोर्ट और इसके प्रभावों की विस्तृत जानकारी मांगी है।
क्या है ‘रेनीवैल’ प्रोजेक्ट?
जानकारी के अनुसार, रहन कलां गांव में दो करोड़ घन लीटर जल दोहन की क्षमता वाले पांच ‘रेनीवैल’ बनाए जाने हैं। इनमें से एक को स्टैंडबाई रखा जाएगा, जबकि चार रेनीवैल प्रतिदिन लगभग 8 करोड़ घन लीटर पानी का लगातार दोहन करेंगे। इस वृहद जल दोहन योजना के लिए रुड़की विश्वविद्यालय (IIT Roorkee) से अध्ययन करवाया गया है।
हालांकि, सिंचाई विभाग और कार्य करने को अधिकृत उप्र जल निगम ने इस बारे में जनप्रतिनिधियों तक को जानकारी देना जरूरी नहीं समझा है, जिससे पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं।
भूजल स्तर पर गंभीर चिंताएं
डॉ. मंजू भदौरिया ने, जो जिला सिंचाई बंधु की अध्यक्ष भी हैं, विभाग के संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगा है। उन्होंने जानना चाहा है कि जनपद के किस विकास खंड में इस भारी जल दोहन का भूजल स्थिति पर क्या असर पड़ेगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जनपद के अधिकांश विकास खंड पहले से ही अतिदोहित (over-exploited) हैं और उनका जलस्तर लगातार गिरता जा रहा है। ऐसे में इतनी बड़ी मात्रा में भूजल दोहन से स्थिति और बिगड़ सकती है।
डॉ. भदौरिया ने अधिकारियों से यह भी स्पष्ट करने को कहा है कि रहन कलां में भूजल दोहन के बाद यमुना नदी में आगे बहने की क्या स्थिति रह जाएगी।
सिविल सोसायटी ने भी जताई आपत्ति, यमुना के अस्तित्व पर खतरा
उल्लेखनीय है कि इस वृहद जल दोहन योजना के बारे में आम लोगों और जनप्रतिनिधियों को सटीक जानकारी नहीं है। रुड़की विश्वविद्यालय की जांच रिपोर्ट और संस्तुतियां सिंचाई विभाग के लोअर खंड और उप्र जल निगम की स्थानीय इकाई को भेजी जा चुकी हैं।
सिविल सोसायटी ऑफ आगरा के सेक्रेटरी अनिल शर्मा, राजीव सक्सेना और असलम सलीमी ने जिला पंचायत अध्यक्ष डॉ. मंजू भदौरिया से मुलाकात कर इस योजना के संबंध में जानकारी प्राप्त की। सोसायटी के प्रतिनिधियों ने आशंका जताई कि तटीय गांव में बड़े पैमाने पर जल दोहन होने से यमुना नदी के पानी से जलभृत तंत्र (Aquifer System) का स्वाभाविक रिचार्ज प्रभावित होगा। उनका मानना है कि इससे गैर-मानसून महीनों में शायद ही डाउनस्ट्रीम में नदी के बहाव की स्थिति रह सकेगी।
सोसायटी ने यह भी बताया कि जनपद से होकर बहने वाली उटंगन और खारी नदियां, जो इंटर-स्टेट होने के बावजूद जल-शून्य स्थिति में हैं, उनका पानी राजस्थान ने अवैध तरीके से रोक रखा है। अब अगर रेनीवैल प्रोजेक्ट प्रभावी हो गया तो गैर-मानसून सत्र में यमुना नदी भी रहन कलां गांव के बाद एत्मादपुर, फतेहाबाद और बाह तहसील में जल शून्य स्थिति में पहुंच सकती है।
इम्पैक्ट रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग
सिविल सोसाइटी ऑफ आगरा के सेक्रेटरी अनिल शर्मा ने बताया कि प्रचलित जानकारी के अनुसार, पांचों रेनीवैल भारी डिस्चार्ज क्षमता के होंगे, जिनमें से एक स्टैंडबाई रहेगा और चार अनवरत भूगर्भ का जल दोहन करेंगे। इनमें से प्रत्येक रेनीवैल की गहराई 30 मीटर तक होगी और नदी के एक्यूफर व सीपेज से इनमें पानी पहुंचेगा। प्रत्येक रेनीवैल की क्षमता प्रतिदिन 2 करोड़ लीटर पानी के दोहन की होगी।
हालांकि, इस रेनीवैल प्रोजेक्ट से औद्योगिक परियोजनाओं को भरपूर पानी मिलेगा, लेकिन यमुना नदी के बहाव की स्थिति, ट्यूबवेल, हैंडपंपों, कुओं और गांवों की पाइपलाइन से पानी सप्लाई योजना पर क्या प्रभाव पड़ेगा, इसकी जानकारी फिलहाल सार्वजनिक नहीं है। जल दोहन की यह परियोजना सिंचाई विभाग के तृतीय वृत्त और उप्र जल निगम के अधिशासी अभियंता के अधीन है। दोनों ही अधिकारियों के पास रुड़की विश्वविद्यालय की स्टडी रिपोर्ट पहुंच चुकी है, जिसे सार्वजनिक करने की मांग उठ रही है।