कासगंज: जिले में खनन माफियाओं के आगे जिला प्रशासन नतमस्तक नजर आ रहा है। नियमों का उल्लंघन कर बालू की अवैध खुदाई और अन्य अनियमितताओं के चलते लगाए गए जुर्माने को वसूलने में प्रशासन ने कदम पीछे खींच लिए हैं। पटियाली क्षेत्र में गंगा नदी के किनारे चल रहे अवैध खनन में कोई कमी नहीं आई है, और जिला खनन अधिकारी समेत अन्य प्रशासनिक अधिकारी मौन हैं। इससे साफ प्रतीत होता है कि एक भाजपा नेता के नाम आने के कारण प्रशासन आरोपियों से जुर्माना वसूलने में हिचकिचा रहा है।
मामला क्या है:
- पटियाली तहसील के कादरगंज खाम में अवैध बालू खनन जारी है, जबकि संबंधित सेंटर बंद हो चुका है।
- मीडिया में खबरें आने के बाद अपर जिलाधिकारी ने नोटिस जारी कर तीन दिन में जवाब मांगा, लेकिन आरोपियों ने निर्धारित समय में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
- सुशील सोलंकी, जो सत्ताधारी भाजपा के दरियावगंज मंडल अध्यक्ष हैं, को इस मामले का मास्टर माइंड माना जा रहा है। उनके राजनीतिक संरक्षण के चलते प्रशासन कार्रवाई करने से कतराता है।
जुर्माने की स्थिति:
- डीएम मेधा रूपम ने 13 लाख 80 हजार रुपये का जुर्माना लगाया था, जो अभी तक आरोपियों द्वारा अदा नहीं किया गया है।
- जिला प्रशासन के ढुलमुल रवैये से खनन माफियाओं का हौसला बुलंद है और वे कादरगंज के अलावा छितैरा क्षेत्र में भी बेखौफ अवैध खनन कर रहे हैं।
फर्जी रॉयल्टी का मामला:
- कादरगंज क्षेत्र में भंडारण के नाम पर अवैध खनन करने वाले माफियाओं ने फर्जी रॉयल्टी बनाकर सरकार के राजस्व को बड़ा नुकसान पहुंचाया है।
- प्रशासन ने इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है, केवल जांच के नाम पर खानापूरी कर रहा है।
चौंकाने वाली जानकारी:
सूत्रों के अनुसार, खनन माफिया बंटी मिश्रा कभी जिला खनन अधिकारी का ड्राइवर रहा था। उसकी गतिविधियों पर नकेल कसने के बजाय प्रशासन ने उसे पहले हटा दिया, फिर भी उसकी गतिविधियाँ जारी हैं।
यह स्थिति दर्शाती है कि राजनीतिक संरक्षण के चलते प्रशासनिक कार्यवाही बाधित हो रही है। जनता में यह चर्चा है कि सत्ताधारी नेताओं के दबाव के कारण प्रशासन जुर्माना वसूलने में असमर्थ है। अवैध खनन पर अंकुश लगाने के लिए प्रशासन को ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।