जिलाधिकारी ने किया ‘ऑपरेशन उटंगन’ का विस्तृत खुलासा: “यह मेरे जीवन का सबसे कठिन और भावनात्मक अभियान था”

Rajesh kumar
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आगरा के जिलाधिकारी ने ‘ऑपरेशन उटंगन’ को बताया ‘जीवन का सबसे कठिन अभियान’। ऊंटगन नदी हादसे के बाद चले रेस्क्यू की विस्तार से जानकारी दी। तकनीकी रणनीति से कैसे निकाले गए सभी 12 शव? सभी सहयोगियों को किया जाएगा सम्मानित।

दैनिक अग्रभारत, विशेष संवाददाता

आगरा: आगरा के जिलाधिकारी (DM) अरविंद मल्लप्पा बंगारी ने कलेक्ट्रेट चैंबर में आयोजित एक प्रेस वार्ता में, खेरागढ़ क्षेत्र के कुसियापुर/डूंगरवाला गाँव के पास ऊंटगन नदी में मूर्ति विसर्जन के दौरान हुई दुखद घटना और उसके बाद चलाए गए विशाल रेस्क्यू ऑपरेशन ‘ऑपरेशन उटंगन’ के संबंध में विस्तार से जानकारी दी।

डीएम ने इस अभियान को अपने प्रशासनिक जीवन की सबसे कठिन चुनौती बताया। उन्होंने कहा, “यह मेरे जीवन का सबसे कठिन और भावनात्मक बचाव अभियान था।”

जटिल ‘ऑपरेशन उटंगन’ की पूरी कहानी

डीएम ने बताया कि 02 अक्टूबर को हुई इस दुखद घटना में 13 युवक डूब गए थे, जिनमें से स्थानीय लोगों और पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए 01 युवक विष्णु को सकुशल बचा लिया था। शेष 12 मृतकों के शवों को निकालने के लिए ‘ऑपरेशन उटंगन’ शुरू किया गया।

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उन्होंने बताया कि यह अभियान प्रशासनिक दृढ़ संकल्प, तकनीकी विशेषज्ञता और मानवीय संवेदना का एक अनूठा उदाहरण था। ऑपरेशन की चुनौतियाँ अत्यधिक थीं:

चुनौतियाँ: नदी की गहराई, तेज बहाव और मिट्टी की परतें (गाद) रेस्क्यू ऑपरेशन को बेहद जटिल बना रही थीं। शुरुआती प्रयास सफल नहीं हुए।

रणनीतिक बदलाव: डीएम ने बताया कि इसके बाद ‘ऑपरेशन उटंगन’ को एक रणनीतिक युद्ध की तरह चलाया गया।

जलस्तर नियंत्रण: पड़ोसी जनपद भरतपुर, करौली और धौलपुर के ज़िलाधिकारियों से तुरंत संपर्क किया गया और नदी में पानी छोड़ने पर रोक लगवाई गई।

अस्थायी तटबंध: सिंचाई विभाग, पंचायत राज विभाग और स्थानीय ग्रामीणों की मदद से जल स्तर को नियंत्रित करने के लिए एक अस्थायी मिट्टी का तटबंध बनाया गया, जिससे जल स्तर में कमी आई।

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तकनीकी विशेषज्ञता का उपयोग: सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ के स्कूवा डाइव और गोताखोर की टीमें लगातार जुटी रहीं। जब सफलता नहीं मिली, तो मर्चेंट नेवी के विशेषज्ञों से सलाह ली गई।

सफल तकनीक: मेटल रॉड्स, प्रेशर पाइप्स और कम्प्रेशर एयर तकनीकी का उपयोग किया गया। इस तकनीक से नदी की तलहटी तक पहुंच बनी और पहला शव प्राप्त हुआ। यह तकनीक कारगर सिद्ध हुई।

सभी शवों की सफल प्राप्ति

डीएम ने बताया कि 07 अक्टूबर को इसी कारगर तकनीकी की सहायता से कुछ ही अंतराल में नदी से सभी शवों को सफलतापूर्वक निकाला गया। शाम 06:10 बजे अंतिम रूप से मृतक हरेश के शव की प्राप्ति के साथ “ऑपरेशन उटंगन“ पूर्ण हुआ। कुछ शव गाद की परतों के नीचे सीधे दबे हुए पाए गए, जिन्हें निकालने के दौरान अत्यधिक सावधानी बरतनी पड़ी।

उन्होंने इस पूरे अनुभव को अपने प्रशासनिक जीवन की सबसे कठिन परीक्षा बताया।

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मुख्यमंत्री और सभी सहयोगियों का आभार

डीएम ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने “ऑपरेशन उटंगन“ के दौरान लगातार रेस्क्यू की प्रगति का जायजा लिया और मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा हर संभव मदद व सहयोग किया गया।

उन्होंने ऑपरेशन में शामिल सेना की 411वीं पैराफील्ड कंपनी, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पीएसी के जवानों, स्थानीय जनता व ग्रामीणजनों के अभूतपूर्व सहयोग के लिए धन्यवाद दिया।

सम्मान की घोषणा

जिलाधिकारी ने घोषणा की कि “ऑपरेशन उटंगन“ में दिन-रात निरंतर योगदान देने वाले सभी व्यक्तियों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया जाएगा। उन्होंने जनप्रतिनिधिगण, सांसदगण, पर्यटन व संस्कृति विभाग के मंत्री और जनपद के सभी प्रशासनिक एवं पुलिस अधिकारियों का भी आभार व्यक्त किया।

 

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