धरने का असर: दिव्यांग छात्र को मिला स्कूल में दाखिला, ₹4.5 लाख फीस वापसी पर भी होगा फैसला

Jagannath Prasad
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आगरा: लंबे समय से अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे एक दिव्यांग बच्चे को आखिरकार न्याय मिल गया है। आज, 4 सितंबर 2025 को आगरा कलेक्ट्रेट पर प्रोग्रेसिव एसोसिएशन ऑफ पेरेंट्स अवेयरनेस (PAPA NGO) द्वारा आयोजित धरने के बाद, जिला प्रशासन के हस्तक्षेप से न केवल बच्चे का दाखिला सुनिश्चित हुआ, बल्कि उसकी फीस वापसी पर भी विचार करने का आश्वासन दिया गया है।

यह धरना दिव्यांग बच्चे के प्रवेश में हो रही देरी और दिव्यांग अधिकार अधिनियम 2016-17 के तहत मुफ्त शिक्षा के अधिकार की मांग को लेकर आयोजित किया गया था। इस दौरान, PAPA NGO के राष्ट्रीय संयोजक श्री दीपक सिंह सरीन के नेतृत्व में अभिभावकों और समर्थकों ने अपनी मांगों को लेकर एक ज्ञापन जिला प्रशासन को सौंपा।

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अधिकारियों का तत्काल हस्तक्षेप

धरने की सूचना मिलते ही बेसिक शिक्षा अधिकारी श्री जितेंद्र गौड़ और एडीएम श्री अजय नारायण मौके पर पहुंचे। उन्होंने मामले की गंभीरता को समझते हुए तत्काल स्कूल प्रबंधन से बात की और बच्चे का प्रवेश तुरंत सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।

जब स्कूल प्रबंधन ने यह कहकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ना चाहा कि वे आरटीई (RTE) और दिव्यांग अधिकार अधिनियम के दायरे में नहीं आते, तब दीपक सिंह सरीन ने अधिकारियों को अधिनियम की प्रतिलिपि और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की प्रतियाँ सौंपीं।

सरीन ने अधिकारियों को स्पष्ट बताया कि “जब अधिनियम में दिव्यांग बच्चों के लिए निःशुल्क शिक्षा का स्पष्ट प्रावधान है, तब भी विद्यालय द्वारा अब तक लगभग ₹4.5 लाख (साढ़े चार लाख रुपये) फीस के रूप में वसूलना पूर्णतः अवैध है। यह राशि अभिभावक को तत्काल वापस मिलनी चाहिए।”

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सकारात्मक परिणाम और आगे की कार्रवाई

अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का अध्ययन कर और कानूनी सलाह लेने के बाद आगे की कार्रवाई करने का आश्वासन दिया। उन्होंने यह भी कहा कि जब तक इस मामले पर कोई अंतिम फैसला नहीं हो जाता, तब तक बच्चे की शिक्षा में कोई बाधा नहीं आने दी जाएगी।

इस धरने का सकारात्मक परिणाम यह हुआ कि विद्यालय प्रबंधन ने बच्चे को सोमवार से स्कूल आने को कहा है, जिससे उसकी पढ़ाई फिर से शुरू हो सकेगी। PAPA NGO ने इस लड़ाई में साथ देने वाले सभी अभिभावकों, समर्थकों और मीडिया का आभार व्यक्त किया है, जिनकी वजह से यह संघर्ष सफल हो पाया।

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