आगरा, उत्तर प्रदेश: आगरा में दहेज हत्या के एक मामले में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (ADJ-7) ने पति हेमंत को दोषी पाते हुए 10 साल कैद और 10 हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई है. वहीं, इसी मामले में आरोपी देवर संतोष और सास श्रीमती गीता देवी को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया है.
क्या था मामला?
थाना कागारौल में दर्ज मुकदमे के अनुसार, शिकायतकर्ता प्रताप सिंह की बेटी श्रीमती भारती की शादी आरोपी हेमंत पुत्र स्वर्गीय रतन सिंह उर्फ मंगल, निवासी ग्राम बल्हेरा, थाना मलपुरा, जिला आगरा से हुई थी.
प्रताप सिंह ने आरोप लगाया था कि शादी के बाद से ही हेमंत, उसका देवर संतोष और सास श्रीमती गीता देवी दहेज से संतुष्ट नहीं थे. वे भारती को अतिरिक्त दहेज के लिए लगातार प्रताड़ित करते थे. जब उनकी मांग पूरी नहीं हुई, तो आरोपियों ने 19 मार्च 2020 को भारती की हत्या कर दी.
वादी की तहरीर के आधार पर, आरोपी पति, देवर और सास के खिलाफ दहेज उत्पीड़न (धारा 498A), हत्या (धारा 302) और दहेज प्रतिषेध अधिनियम की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था.
अदालत का फैसला
अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश-7 ने पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों और सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता (ADGC) नाहर सिंह तोमर के तर्कों पर विचार किया. अदालत ने हेमंत को भारती की दहेज हत्या का दोषी पाया और उसे 10 साल के कारावास और 10 हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया.
हालांकि, अदालत ने आरोपी देवर संतोष और सास श्रीमती गीता देवी को सबूतों के अभाव में बरी करने का आदेश दिया. यह फैसला दर्शाता है कि भारतीय न्याय प्रणाली में हर आरोप के लिए ठोस सबूतों की आवश्यकता होती है.