एटा, उत्तर प्रदेश: जनपद एटा की ग्राम पंचायत शीतलपुर में पेयजल संकट गहराता जा रहा है। गांव में पेयजल आपूर्ति के लिए लगाए गए कुल 57 सरकारी हैंडपंपों में से अधिकांश खराब पड़े हैं, जिससे ग्रामीणों को पीने के पानी के लिए भारी जद्दोजहद करनी पड़ रही है। इस गंभीर स्थिति के बीच, सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि सरकारी अभिलेखों में इन हैंडपंपों की मरम्मत और रिबोर का कार्य पूर्ण दिखाया गया है, जो प्रशासनिक व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
ग्रामीणों की आपबीती: “कागज़ में सब ठीक, पर पानी नहीं!”
ग्रामीणों का आरोप है कि गांव के कई हैंडपंप वर्षों से खराब पड़े हैं, जबकि कुछ में जलस्तर इतना नीचे चला गया है कि उनसे पानी निकालना लगभग नामुमकिन हो गया है। बावजूद इसके, इन हैंडपंपों को सरकारी कागजों में ठीक दर्शाया गया है, जिससे यह संदेह गहरा गया है कि पेयजल योजनाओं में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है।
गांव की निवासी निशा देवी ने बताया, “कागज में सब कुछ ठीक है, लेकिन हमें पानी के लिए आज भी एक-एक किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। बच्चों और बुजुर्गों को भारी परेशानी होती है।” इसी तरह, ग्रामीण कैलाश और राजकुमार ने बताया कि उन्होंने कई बार अधिकारियों से हैंडपंप ठीक कराने की मांग की, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई।
21.90 लाख रुपये के गबन का मामला, अब जांच की मांग
गौरतलब है कि हाल ही में इसी ग्राम पंचायत में लगभग 21.90 लाख रुपये के गबन का एक बड़ा मामला सामने आया था। इसमें हैंडपंपों की मरम्मत और रिबोर के नाम पर फर्जी भुगतान का आरोप ग्राम प्रधान और तत्कालीन सचिव पर लगाया गया था।
ग्रामीणों ने अब इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है। उनका कहना है कि जब तक दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं होती, तब तक वे चुप नहीं बैठेंगे। ग्रामीणों के अनुसार, यह केवल भ्रष्टाचार का मामला नहीं है, बल्कि लोगों के बुनियादी अधिकार — पेयजल — से खिलवाड़ है, जो सीधे तौर पर उनके जीवन और स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है।
अब देखना यह होगा कि जिला प्रशासन इस मामले को कितनी गंभीरता से लेता है और कब तक शीतलपुर के ग्रामीणों को इस गंभीर पेयजल संकट से राहत मिलती है।