गरीब परिवार से एस्टीमेट के नाम पर 70 हजार की डिमांड
अंबेडकर नगर | दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना का आरम्भ वर्ष 2014 में पूर्व की आरजीजीवीवाई के अन्तर्गत निर्धारित लक्ष्यों को एक पृथक ग्रामीण विद्युतीकरण उप- अवयव के रूप में समाहित करते हुये आरजीजीवीवाई के लिए अनुमोदित परिव्यय को डीडीयूजीजेवाई तक आगे ले जाते हुए, दो अतिरिक्त उद्देश्यों को भी इसमें जोड़ा गया था | इस योजना में निर्धनता से नीचे के परिवारों को निशुल्क विद्युत संयोजन दिए जाने का लक्ष्य था | इसी योजना के अंतर्गत कटेहरी पावर हाउस के अंतर्गत आने वाले कटघरवा गांव के कुछ परिवारों को भी कनेक्शन उपलब्ध कराया गया था |
जो सक्षम है उनके कनेक्शन आज भी लकड़ी के पोल पर हो रहे हैं संचालित
विद्युत विभाग द्वारा वर्ष 2017-18 के आसपास संबंधित परिवारों के संयोजन को लकड़ी के पोल के माध्यम से चालू किया गया था | उपरोक्त संयोजन पर वर्ष 2020 में मीटर भी लगाया गया | सुभावती के नाम पर संचालित इस कनेक्शन का बिल भी नियमित जमा किया जाता रहा है | लेकिन वर्ष 2023 के अंतिम माह के आसपास तत्कालीन एसडीओ द्वारा गांव में विजिट के दौरान आताताई रवैया दिखाते हुए गरीबी रेखा में जीवन यापन करने वाले इन परिवारों के कनेक्शन को यह कहते हुए काट दिया गया की कनेक्शन लकड़ी के पोल के माध्यम से संचालित किया जा रहा है | उसके बाद से तत्कालीन एसडीओ ने संबंधित परिवारों से कनेक्शन बंद कराने का एप्लीकेशन भी ले लिया |

एसडीओ के आताताई रवैया से परेशान होकर संबंधित परिवार ने कई बार उच्च अधिकारियों का चक्कर लगाए लेकिन कोई भी सुनवाई नहीं हो सकी | यहां पर प्रश्न यह उठना है कि यदि लकड़ी के पोल पर कनेक्शन संचालित नहीं किया जा सकता तो आखिर इस योजना के अंतर्गत प्रारंभ में कनेक्शन क्यों दिया गया ? क्या सिर्फ फोटो खिंचवाने के लिए कनेक्शन दिया गया था ? और अब जिस प्रकार से एस्टीमेट के नाम पर 70000 की मांग की जा रही है, यह कहीं से भी उचित नहीं है | एसडीओ रावत जैसे ही अधिकारी होते हैं जिनकी वजह से जनता में सरकार के खिलाफ आक्रोश पैदा होता है | यदि कनेक्शन गलत है तो कनेक्शन की स्वीकृत देने वाले अधिकारियों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए | यदि उच्च अधिकारी चाहे तो आसानी से इस समस्या का निदान कर सकते हैं लेकिन वह दृढ़ इच्छाशक्ति अंबेडकर नगर जिले के विद्युत विभाग के अधिकारियों में देखने को नहीं मिल रही है | कटेहरी क्षेत्र अंतर्गत आज भी दर्जनों कनेक्शन ऐसे हैं जो 100 से 200 मीटर की लंबाई में लकड़ी के पोल पर संचालित हो रहे हैं | लेकिन वहां पर एसडीओ कटेहरी अपनी आंखें बंद कर लेते हैं |
लोकसभा चुनाव में जिस प्रकार से सत्ता पक्ष को नुकसान हुआ है उसके पीछे कहीं ना कहीं एसडीओ रावत जैसे अधिकारी हैं जिनकी वजह से जनता त्रस्त हो जाती है और सरकार के खिलाफ माहौल खड़ा हो जाता है | आवश्यकता यह भी है कि इस प्रकार के अधिकारी जो सरकार की नीतियों के विमुख होकर कार्य कर रहे हैं उनके ऊपर सख्त कार्रवाई की जाए |
इस बारे में एसडीओ कटेहरी का क्या है कहना..
इस संबंध में जब एसडीओ कटेहरी से बात हुई तो उन्होंने बताया कि संबंधित कनेक्शन पहले गांव में दिखा कर लिया गया था और उसके बाद उसको लगभग 200 मीटर दूर गांव से बाहर ले जाकर एक आवास से जोड़ दिया गया |
उपभोक्ता का क्या है कहना….
उपभोक्ता सुभावती का कहना है कि कनेक्शन जहां आज संचालित हो रहा है यहीं पर दिया गया था | एसडीओ कटेहरी अपना बचाव करने के लिए झूठा आरोप लगा रहे हैं | इसके अतिरिक्त उपभोक्ता ने यह भी बताया कि संबंधित कनेक्शन लकड़ी के पोल पर संचालित किया जा रहा था ना की जमीन से | सुभावती ने यह भी कहा कि जहां सरकार हर गरीब के घर तक बिजली उपलब्ध कराने के लिए प्रयासरत है वही एसडीओ कटेहरी जैसे अधिकारी सरकार की मंशा के अनुरूप कार्य नहीं कर रहे हैं जिससे संबंधित योजना के अपेक्षित परिणाम नहीं मिल पा रहे हैं |
