आगरा, उत्तर प्रदेश: पर्यावरण दिवस के पावन अवसर पर गैर-सरकारी संगठन “सेकंड चांस” ने एक अनूठी पहल की शुरुआत की। इस मुहिम के तहत, पर्यावरण को हो रहे नुकसान को कम करने के उद्देश्य से फुटपाथ पर सब्जी बेचने वाले विक्रेताओं को कपड़े के थैले बांटे गए, ताकि वे प्लास्टिक की थैलियों का इस्तेमाल पूरी तरह बंद कर सकें। करीब 50 सब्जी विक्रेताओं को 5000 कपड़े के थैले वितरित किए गए। इस मौके पर आगरा की महापौर हेमलता दिवाकर ने सब्जी विक्रेताओं सहित कार्यक्रम में मौजूद सभी लोगों को पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करने की शपथ दिलाई।
“केवल पर्यावरण दिवस पर ही चिंता से कुछ नहीं होगा”: महापौर हेमलता दिवाकर

महापौर हेमलता दिवाकर ने इस अवसर पर जोर देकर कहा कि केवल पर्यावरण दिवस पर ही पर्यावरण की चिंता करने से कुछ नहीं होगा। उन्होंने कहा, “हमें हर दिन को पर्यावरण दिवस समझकर जीना होगा। हर दिन इसके संरक्षण के लिए प्रयास करने होंगे।” उन्होंने यह भी बताया कि प्रशासन पर्यावरण के लिए लगातार काम कर रहा है, लेकिन इन प्रयासों का सकारात्मक परिणाम तभी मिल सकता है, जब जनता भी इसमें सक्रिय भागीदारी दे। महापौर ने खुशी व्यक्त करते हुए कहा, “मेरा आगरा बदल रहा है, जिसे देखकर बेहद खुशी होती है।” उन्होंने आलोचनाओं को भी सुधार का अवसर बताते हुए कहा कि उनकी कोशिश अपने शहर को सबसे सुंदर और स्वच्छ बनाने की है।
इस अवसर पर, “एक पहल” संस्था के बच्चों ने पर्यावरण चेतना को लेकर एक मनमोहक लघु नाटिका का भी मंचन किया, जिसने सभी का ध्यान आकर्षित किया।
प्लास्टिक प्रदूषण समाप्त करने की थीम पर “सेकंड चांस” की पहल
कार्यक्रम की आयोजक, “सेकंड चांस” की टीम से डॉ. रेणुका डंग ने बताया कि इस साल पर्यावरण दिवस की थीम “प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करना” है। उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि हर साल दुनिया में 400 मीट्रिक टन प्लास्टिक की बोतलें इस्तेमाल की जाती हैं और इस संख्या को कम करना बेहद जरूरी है। डॉ. रेणुका ने बताया कि “सेकंड चांस” इसमें अपनी हर संभव भूमिका निभाने के लिए प्रयासरत है।
डॉ. सारिका श्रीवास्तव ने “सेकंड चांस” की उत्पत्ति और उसके कामकाज के बारे में विस्तार से जानकारी दी, जबकि मयूरी मित्तल ने रीसायकल में आने वाली दिक्कतों पर प्रकाश डाला।
प्लास्टिक रीसाइक्लिंग और जनभागीदारी पर जोर
शहर के मशहूर डॉ. नरेंद्र मल्होत्रा ने प्लास्टिक बोतलों को रीसायकल करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि आजकल ऐसे एटीएम आ गए हैं, जिनमें बोतलें डालने पर क्रश हो जाती हैं और बदले में उपयोगकर्ता को टॉफ़ी भी मिलती है। उन्होंने आगरा में भी इस तरह के एटीएम लगवाए जाने का सुझाव दिया और नगर निगम की सराहना करते हुए कहा कि बीते कुछ सालों में उन्होंने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काफी काम किया है। होटल हिल्टन की मैनेजर रजनी ने कहा कि पर्यावरण का संरक्षण तभी हो सकेगा जब हममें से प्रत्येक इसमें अपनी सहभागिता देगा। उन्होंने बताया कि वह निजी तौर पर हमेशा एक जूट का थैला और पानी की बोतल साथ रखती हैं, ताकि प्लास्टिक की वस्तुओं का प्रयोग न करना पड़े।
युवा उद्यमी संजिका डंग ने प्लास्टिक प्रदूषण को लेकर चौंकाने वाले आंकड़े बताए। उन्होंने बताया कि एक हफ्ते में इंसान एक एटीएम कार्ड जितनी प्लास्टिक अपने शरीर के अंदर ग्रहण कर लेता है, जो बेहद खतरनाक है।
पर्यावरण संरक्षण: एक साझा जिम्मेदारी

इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार अभिषेक मेहरोत्रा ने कहा कि पर्यावरण को लेकर अभी भी हमारी सोच नहीं बदली है। उन्होंने राहत इंदौरी के शेर, “शहर क्या देखें कि हर मंजर में जाले पड़ गए, ऐसी गर्मी है कि पीले फूल काले पड़ गए” के जरिए अपनी बात समझाई। अभिषेक ने कहा कि सबसे पहले हमें यह समझना होगा कि पर्यावरण संरक्षण हम सबकी साझा जिम्मेदारी है। उन्होंने जोर दिया, “आप अकेले सरकार पर सबकुछ नहीं छोड़ सकते और सरकार जनभागीदारी के बिना कुछ नहीं कर सकती। यह एक तरह का जॉइंट वेंचर है, जिसमें दोनों पक्षों को बराबर प्रयास करने होंगे, तभी लक्ष्य हासिल किया जा सकेगा।”
अपर नगर आयुक्त अशोक प्रिया गौतम ने बताया कि आगरा में कई बेवरेज कंपनियां आ रही हैं, जो प्लास्टिक की बोतलें इस्तेमाल करती हैं। उन्होंने कहा कि नगर निगम उनसे बातचीत कर रहा है कि वे किस तरह पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे सकती हैं। वहीं, डिप्टी कमिश्नर सरिता सिंह ने कहा कि नगर निगम पर्यावरण संरक्षण की दिशा में पूरी शिद्दत से काम कर रहा है, लेकिन इसमें जनता के सहयोग की भी ज़रूरत है।
समाजसेवी श्रद्धा जैन ने बताया कि रोज सब्जी लेने के लिए अपना थैला साथ लेकर जाने से असीम संतोष मिलता है। कार्यक्रम की व्यवस्था राबिन जैन ने संभाली। इस दौरान “एक पहल” के मनीष राय, पार्षद शरद चौहान, हिमांशु सचदेवा, आर. के. नैयर, संजीव चौबे, संतोष, अनु आदि उपस्थित रहे।

