एटा कांग्रेस अल्पसंख्यक ने संभल की ऐतिहासिक जामा मस्जिद को मंदिर बताने के दावे पर विरोध जताया, जिला अदालत से कार्रवाई की मांग

Pradeep Yadav
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एटा कांग्रेस अल्पसंख्यक ने संभल की ऐतिहासिक जामा मस्जिद को मंदिर बताने के दावे पर विरोध जताया, जिला अदालत से कार्रवाई की मांग

एटा। (Etah News) एटा शहर कांग्रेस अल्पसंख्यक ने संभल की ऐतिहासिक जामा मस्जिद को मंदिर बताने के दावे को जिला अदालत द्वारा स्वीकार करने के खिलाफ विरोध जताते हुए ज्ञापन सौंपा। कांग्रेस नेताओं ने इसे पूजा स्थल अधिनियम, 1991 के उल्लंघन के रूप में देखा और न्यायपालिका से इस पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।

कांग्रेस का विरोध: पूजा स्थल अधिनियम 1991 का उल्लंघन

एटा कांग्रेस जिला अध्यक्ष ठाकुर अनिल सोलंकी ने कहा कि “संभल की ऐतिहासिक जामा मस्जिद को मंदिर बताने का दावा ज़िला अदालत द्वारा स्वीकार किया जाना पूजा स्थल अधिनियम, 1991 का खुला उल्लंघन है।” उन्होंने इस कदम को संविधान और न्यायपालिका की आस्थाओं से खिलवाड़ बताते हुए इसके खिलाफ आवाज उठाई।

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पूजा स्थल अधिनियम 1991: साफ़ दिशा निर्देश

युवा कांग्रेस एटा प्रभारी मोहम्मद रियाज अब्बास ने स्पष्ट किया कि पूजा स्थल अधिनियम 1991 में यह साफ़ तौर पर उल्लेखित है कि 15 अगस्त 1947 तक किसी भी धार्मिक स्थल का जो स्वरूप था, वह यथावत रहेगा। इस एक्ट के अनुसार, किसी भी धार्मिक स्थल के चरित्र को चुनौती देने वाली याचिकाएं न्यायालय, न्यायाधिकरण (ट्रिब्यूनल) या अन्य किसी प्राधिकरण में स्वीकार नहीं की जा सकतीं। ऐसे में, संभल की जिला अदालत द्वारा इस याचिका को स्वीकार करना पूरी तरह से कानून के खिलाफ है।

कांग्रेस नेताओं का आरोप: निचली अदालतों की कार्यवाही पर सवाल

एटा कांग्रेस अल्पसंख्यक के शहर अध्यक्ष लल्ला बाबू ने कहा, “जब क़ानून स्पष्ट रूप से कहता है कि ऐसी कोई याचिका किसी कोर्ट में स्वीकार नहीं हो सकती, तो फिर संभल के जिला न्यायालय ने ऐसी याचिका कैसे स्वीकार की? यह स्पष्ट तौर पर असंवैधानिक है।” उन्होंने यह भी कहा कि अगर निचली अदालतें गैरकानूनी फैसले देती हैं, तो सुप्रीम कोर्ट को ऐसे न्यायाधीशों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि न्यायपालिका की निष्पक्षता बनी रहे।

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संविधान विरोधी एजेंडे को न्यायपालिका का समर्थन?

कांग्रेस नेताओं का कहना था कि यदि सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे पर कार्रवाई नहीं करता है, तो यह संदेश जाएगा कि आरएसएस और भा.ज.पा. के संविधान विरोधी एजेंडों को न्यायपालिका का एक हिस्सा समर्थन दे रहा है। इससे जनता का न्यायपालिका पर से विश्वास कमजोर हो सकता है, जो देश के लोकतंत्र के लिए एक खतरनाक संकेत होगा।

ज्ञापन में क्या था?

कांग्रेस के नेताओं ने एक ज्ञापन सौंपते हुए सुप्रीम कोर्ट से अपील की कि निचली अदालतों के जजों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि न्यायपालिका की निष्पक्षता में लोगों का भरोसा कायम रहे और संविधान की गरिमा बनी रहे। ज्ञापन में यह भी कहा गया कि संविधान और कानून के खिलाफ जाने वाले किसी भी न्यायिक फैसले को सख्ती से निपटाया जाना चाहिए।

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ज्ञापन देने वाले प्रमुख कांग्रेस नेता

ज्ञापन देने के समय कांग्रेस सोशल मीडिया जिला अध्यक्ष मोहम्मद तसब्बूर, जिला कांग्रेस महासचिव मोहम्मद फैसल हसन, युवा कांग्रेस जिला उपाध्यक्ष मोहम्मद शानू, जिला युवा कांग्रेस सोशल मीडिया विधानसभा अध्यक्ष मोहम्मद टीपू, कांग्रेस अल्पसंख्यक के शहर उपाध्यक्ष मोहम्मद नसीम, निशकांत शर्मा एडवोकेट, चौब सिंह धनगर एडवोकेट, कुलदीप कुमार, मोहम्मद इसरार, मोहम्मद आमिर, मोहम्मद जीशान, मोहम्मद इसरार सैफी और अन्य कार्यकर्ता मौजूद रहे।

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