Etah News,एटा: जनपद एटा में एक ऐसा मामला सामने आया है, जहाँ एक महिला को अपने पति की सड़क हादसे में हुई मौत के बाद मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए दर-दर भटकना पड़ा। लेकिन जिलाधिकारी प्रेम रंजन सिंह की संवेदनशीलता और त्वरित कार्यवाही से आखिरकार एक माह से अधिक समय तक चली परेशानी का अंत हुआ और महिला को उसका मृत्यु प्रमाण पत्र मिल गया।
क्या था मामला?
फर्रुखाबाद जनपद की तहसील कायमगंज क्षेत्र के गाँव अजमतपुर निवासी बिजेंद्र (उम्र अज्ञात) 28 नवंबर 2024 को एक सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गए थे। परिवार के सदस्यों ने उन्हें तत्काल अलीगंज स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया, जहाँ डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
पति की मृत्यु के बाद उनकी पत्नी ज्योति को मृत्यु प्रमाण पत्र की आवश्यकता पड़ी। उन्होंने शुरुआत में अपने गृह जनपद फर्रुखाबाद में ही मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया, लेकिन कई चक्कर लगाने के बाद उन्हें यह जानकारी मिली कि यह प्रमाण पत्र अलीगंज, एटा से ही जारी होगा। इसके बाद ज्योति ने अलीगंज में प्रमाण पत्र बनवाने के लिए आवेदन किया, लेकिन वहाँ भी उन्हें लगातार इधर-उधर घुमाया जाता रहा। एक माह से भी अधिक समय बीत जाने के बाद भी उन्हें प्रमाण पत्र नहीं मिला, जिससे उनका पूरा परिवार परेशान था और उनके सभी काम रुके हुए थे।
डीएम प्रेम रंजन सिंह का हस्तक्षेप और त्वरित कार्यवाही
इस गंभीर मामले की जानकारी जब जिलाधिकारी प्रेम रंजन सिंह को मिली, तो उन्होंने तत्काल इसका संज्ञान लिया। उन्होंने पीड़ित महिला ज्योति से पूरी जानकारी ली और अलीगंज के बीडीओ (खंड विकास अधिकारी) को दो दिन के अंदर मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के निर्देश दिए।
जिलाधिकारी के निर्देश के बाद, मंगलवार दोपहर को ज्योति को आखिरकार उनका मृत्यु प्रमाण पत्र निर्गत कर दिया गया। प्रमाण पत्र मिलने के बाद ज्योति और उनके परिवार ने राहत की साँस ली।
मृत्यु प्रमाण पत्र को लेकर सख्त निर्देश
इस घटना के बाद, जिलाधिकारी प्रेम रंजन सिंह ने सभी संबंधित अधिकारियों को सख्त निर्देश जारी किए हैं कि मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए आवेदन प्राप्त होने के बाद तत्काल जांच कर उसे जारी किया जाए। उन्होंने स्पष्ट किया है कि भविष्य में इस तरह के मामलों में किसी भी अधिकारी की लापरवाही सामने आने पर उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। ज्योति के पति के मामले में भी तुरंत मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया गया है, जो इस बात का प्रमाण है कि प्रशासन अब इन मामलों को गंभीरता से ले रहा है।