एटा, अलीगंज: जिस ज़मीन पर कभी बच्चों की कक्षाएं गूँजती थीं, वहाँ अब सीमेंट, ईंट और मुनाफ़े की गूँज धीमी पड़ गई है। अग्र भारत की लगातार रिपोर्टिंग के बाद, गौतम बुद्ध इंटर कॉलेज की ज़मीन पर चल रहे अवैध दुकानों के निर्माण को बड़ा झटका लगा है। भ्रष्टाचार के उजागर होते ही निवेशकों ने इन दुकानों में पैसा लगाना बंद कर दिया है, जिसका सीधा असर कीमतों पर पड़ा है। जहाँ कल तक इन दुकानों के दाम आसमान छू रहे थे, वहीं आज वे ज़मीन पर आ गिरे हैं।
खरीदार नहीं मिल रहे, कीमतों में 3 लाख तक की गिरावट
सूत्रों के अनुसार, इन अवैध निर्माणों को अब खरीदार नहीं मिल रहे हैं। दबाव में आकर निर्माणकर्ताओं को प्रति दुकान 2 से 3 लाख रुपये तक की कीमत कम करनी पड़ी है। ये वही दुकानें हैं जो पहले ‘एजुकेशनल लैंड’ के नाम पर अवैध रूप से तैयार की जा रही थीं और ऊंचे दामों पर बेची जा रही थीं। निवेशकों को अब अपना पैसा डूबने का डर सता रहा है, जिसके चलते कई लोगों ने बुकिंग रद्द कर दी है और कुछ ने भुगतान रोक दिया है। ज़मीन की वैधता पर उठते सवाल और भ्रष्टाचार की जांच की मांग ने निवेश के पूरे माहौल को ख़राब कर दिया है।
प्रशासन पर गंभीर सवाल, ‘डॉ. मुंशीलाल शाक्य’ की विरासत दांव पर
यह सवाल उठना लाज़मी है कि जब एक शिक्षा संस्थान की भूमि को खुलेआम व्यावसायिक ज़मीन में बदला जा रहा था, तब प्रशासन क्यों चुप रहा? क्या इन अवैध गतिविधियों को अनदेखा करना ही नियम बन गया था?
जिस संस्थान की नींव कभी डॉ. मुंशीलाल शाक्य ने शिक्षा और समाजसेवा के नेक उद्देश्य से रखी थी, उसे कुछ लोग अपने लालच की भेंट चढ़ाना चाहते थे। लेकिन अब जनता जाग चुकी है और मीडिया की पैनी निगाह ने इस गोरखधंधे को सबके सामने लाकर रख दिया है। यह देखना होगा कि इस भ्रष्टाचार में शामिल लोगों पर कब और क्या कार्रवाई होती है।