एटा: सावन माह में कांवड़ यात्रा के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा हेलीकॉप्टर से फूल बरसाए जाने और अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए जाने के बावजूद जैथरा थाने की धुमरी चौकी क्षेत्र में बना कांवड़ शिविर पूरी तरह वीरान पड़ा रहा। न तो यहां पुलिसकर्मी दिखे, न स्वास्थ्य कर्मी मौजूद थे और न ही कांवड़ियों के लिए मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध थीं। यह लापरवाही प्रशासन की तैयारियों पर सवाल खड़े करती है।
शिविर में सुविधाओं का टोटा
सावन के महीने में हजारों शिव भक्त गंगा जल लेकर प्राचीन शिव मंदिर परसोंन जाते हैं। इस दौरान प्रशासन द्वारा जगह-जगह शिविर बनाकर उनकी सुविधा और सुरक्षा सुनिश्चित करने का दावा किया जाता है। लेकिन काली नदी के पास बना शिविर इन दावों की हकीकत बयां करता है। कांवड़ियों ने बताया कि शिविर में न पीने का पानी था, न प्राथमिक चिकित्सा की व्यवस्था और न ही कोई पुलिसकर्मी तैनात था। कांवड़िए रवि सिंह ने गुस्से में कहा, प्रदेश के मुख्यमंत्री जी फूल बरसा रहे हैं, लेकिन यहां तो न पानी है, न दवा। पुलिस का नामोनिशान तक नहीं। यह व्यवस्था के साथ कैसा मजाक है?
लोगों में भी नाराजगी
स्थानीय लोगों ने भी प्रशासन की इस लापरवाही पर नाराजगी जताई। क्षेत्र के रमेश चंद्र ने कहा, सोमवार को शिव भक्तों की संख्या अधिक रहती है, लेकिन इस बार केवल टेंट लगा कर स्थानीय प्रशासन सिर्फ खानापूर्ति कर रहा है। शिविर में कोई जिम्मेदार अधिकारी/कर्मचारी तक नहीं दिखा। कांवड़ियों का कहना है कि लंबी यात्रा के दौरान थकान और छोटी-मोटी चोटों के लिए भी कोई सहायता नहीं मिली, जिससे उनकी परेशानी बढ़ गई।
सीएम के निर्देशों की उड़ी धज्जियां
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मेरठ में कांवड़ यात्रा का हवाई सर्वेक्षण किया और अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए थे कि कांवड़ियों की सुविधा और सुरक्षा में कोई कमी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने असामाजिक तत्वों पर कड़ी कार्रवाई के भी आदेश दिए थे। बावजूद इसके, जैथरा में यह लापरवाही प्रशासन की गैर-जिम्मेदारी को उजागर करती है। कांवड़ियों का कहना है कि ऐसी लापरवाही उनकी सुरक्षा को खतरे में डाल रही है। कांवड़ियों ने प्रशासन से मांग की है कि इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई हो और भविष्य में ऐसी स्थिति से बचा जाए। यह घटना तब और गंभीर हो जाती है, जब मुख्यमंत्री स्वयं कांवड़ यात्रा की व्यवस्थाओं पर नजर रख रहे हैं। प्रशासन को चाहिए कि वह तत्काल कदम उठाए, ताकि कांवड़ियों की यात्रा सुरक्षित और सुगम हो सके।