जैथरा, एटा: रज्जन सिंह पाल, निवासी दहेलिया, अपने पिता श्रीपाल सिंह का मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के लिए पिछले कई महीनों से ब्लॉक और तहसील कार्यालयों के चक्कर काटने को मजबूर हैं। उनके पिता, श्रीपाल सिंह का निधन 18 नवंबर 2017 को हुआ था, लेकिन आज तक मृत्यु प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया है।
राज्य सरकार की मंशा है कि आम जनता को जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र, मूल निवास प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र जैसे आवश्यक दस्तावेज़ों के लिए बार-बार सरकारी कार्यालयों के चक्कर न लगाने पड़ें और यह प्रक्रिया सरल एवं सुगम हो। लेकिन वास्तविकता इसके बिल्कुल विपरीत नजर आ रही है।
सरकार की योजनाओं का पालन क्यों नहीं हो रहा?
रज्जन सिंह का कहना है कि उन्होंने सभी आवश्यक दस्तावेज़ संबंधित कार्यालयों में जमा कर दिए हैं और बार-बार आवेदन भी किया है, लेकिन हर बार उन्हें नई समस्याओं और कारणों के नाम पर टाल दिया जाता है। सरकार का दावा है कि अब प्रक्रिया ऑनलाइन और आसान हो गई है, लेकिन हकीकत यह है कि उन्हें बार-बार कार्यालयों में चक्कर काटने पड़ रहे हैं। रज्जन सिंह ने अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा, “सरकार का दावा और धरातल की स्थिति में भारी अंतर है।”
ग्रामीणों की समस्याएँ
रज्जन सिंह की तरह, कई अन्य ग्रामीण भी इसी प्रकार की समस्याओं से जूझ रहे हैं। सरकारी कार्यालयों में लापरवाही और जवाबदेही की कमी के कारण जनता को मानसिक और आर्थिक परेशानियाँ उठानी पड़ रही हैं। एक ओर जहाँ सरकार डिजिटल और ऑनलाइन प्रक्रियाओं को बढ़ावा देने का दावा करती है, वहीं दूसरी ओर आम नागरिकों को कागजी कामों में उलझकर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
समाधान की आवश्यकता
स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर सरकारी कार्यालयों में कार्यकुशलता और जवाबदेही बढ़ाई जाए, तो आम जनता को इस प्रकार की समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा। इसके साथ ही, यदि सरकारी प्रक्रियाओं को सही तरीके से लागू किया जाए, तो लोगों को बार-बार कार्यालयों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे।