जैथरा (एटा) इंटरनेट और तकनीक की पांचवीं पीढ़ी के दौर में भी जैथरा नगर की रामलीला आज भी उतनी ही लोकप्रिय है जितनी दशकों पहले हुआ करती थी। जैसे ही रामलीला मंचन शुरू होता है, नगर के लोग अपने-अपने कामकाज छोड़कर परिवार सहित मैदान में पहुंच जाते हैं। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी में इस धार्मिक आयोजन को देखने का वही उत्साह और श्रद्धा आज भी दिखाई पड़ती है।
नगर की रामलीला कमेटी के तत्वावधान में प्रतिदिन मंचन किया जा रहा है। मंच पर जब भगवान श्रीराम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान के पात्र आते हैं तो पूरा मैदान जयकारों से गूंज उठता है। नगर और ग्रामीण क्षेत्रों से भारी संख्या में लोग रामलीला देखने आते हैं। दिलचस्प बात यह है कि डिजिटल युग में भी लोग मोबाइल और टीवी छोड़कर रामलीला के धार्मिक और सांस्कृतिक रंगों में रंग जाते हैं।
नगर में रामलीला का मंचन धार्मिक आयोजन के साथ ही सामाजिक एकता का भी प्रतीक बन चुका है। यहां हर वर्ग और हर उम्र के लोग एक साथ बैठकर इसका आनंद उठाते हैं। बुजुर्ग बताते हैं कि यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है और समय-समय पर इसमें नए प्रयोग भी शामिल किए गए हैं, लेकिन मूल स्वरूप आज भी वैसा ही है जैसा उनके बचपन में था।
भीड़भाड़ के बीच रामलीला मंचन का आनंद लेते दर्शकों का कहना है कि चाहे समय कितना भी बदल जाए, रामलीला का आकर्षण और महत्व हमेशा बना रहेगा। यही वजह है कि आधुनिक साधनों के दौर में भी नगर के लोग इसे पूरे उत्साह से देखने पहुंचते हैं।