प्रयागराज, उत्तर प्रदेश: इटावा के दादरपुर गाँव में हुए तथाकथित कथा कांड में, कथावाचक संत सिंह यादव और मुकट सिंह यादव को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने दोनों कथावाचकों की अग्रिम जमानत याचिका स्वीकार करते हुए कहा है कि उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी में अपराध से संबंध स्थापित करने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं हैं।
क्या था मामला?
इटावा के दादरपुर गाँव में भागवत कथा के दौरान विवाद तब शुरू हुआ, जब कुछ लोगों ने कथावाचकों की जाति पर सवाल उठाया। आरोप था कि इन कथावाचकों ने अपनी पहचान और जाति छिपाकर खुद को ब्राह्मण बताया था। इस घटना के बाद, कथा आयोजक परिवार की ओर से इन कथावाचकों के खिलाफ बकेवर थाने में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 299 (धार्मिक आस्था को ठेस पहुँचाने) और 318 (4) (धोखाधड़ी) के तहत FIR दर्ज कराई गई थी। इसके साथ ही उन पर एक महिला से छेड़खानी का भी आरोप लगा था।
दूसरी ओर, कथावाचकों ने आरोप लगाया था कि जाति उजागर होने के बाद उनके साथ मारपीट की गई, एक का सिर मुंडवा दिया गया और दूसरे की चोटी काट दी गई। इस घटना ने पूरे प्रदेश में जातीय तनाव और राजनीतिक बयानबाजी को जन्म दिया था।
हाईकोर्ट का फैसला
निचली अदालत से अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद, दोनों कथावाचकों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख किया था। न्यायमूर्ति विवेक वर्मा ने 29 जुलाई को इस मामले की सुनवाई करते हुए दोनों की याचिकाओं को स्वीकार कर लिया।
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि याचिकाकर्ताओं का अपराध से सीधा संबंध स्थापित करने के लिए पुलिस प्राथमिकी में कोई ठोस सबूत नहीं है। इसलिए, कोर्ट ने मामले के गुण-दोष पर कोई टिप्पणी किए बिना, दोनों कथावाचकों को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया। इस फैसले के बाद, इन कथावाचकों और उनके समर्थकों ने राहत की सांस ली है।