वीडियो बनाकर पीड़िता ने मुख्यमंत्री से न्याय की गुहार लगाई, पुलिस पर दबाव बनाने का आरोप
अश्लील वीडियो बनाकर वायरल करने की दी धमकी, पुलिस ने भी दिया आरोपियों का साथ; पुलिस आयुक्त से की शिकायत
आगरा, फतेहपुर सीकरी। नाबालिग के साथ हुए कथित गैंगरेप के मामले में फतेहपुर सीकरी पुलिस की भूमिका सवालों के घेरे में आ गई है। वायरल वीडियो और पुलिस आयुक्त को दी गई शिकायत के अनुसार, पीड़िता और उसकी नानी ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि दुष्कर्म के मामले को जानबूझकर हल्का कर छेड़छाड़ में बदल दिया गया, जिससे आरोपियों को बचाया जा सके। पीड़िता का कहना है कि पुलिस ने न केवल बयान बदलवाए, बल्कि मेडिकल परीक्षण न कराने के लिए भी गुमराह किया।पीड़िता के अनुसार, 1 मार्च 2025 को जब वह अपनी नानी के घर पर थी, तभी पड़ोस में पंचर की दुकान चलाने वाले आमिर पुत्र सलीम ने उसे बहला-फुसलाकर भगवान पेट्रोल पंप के पास ले जाकर बलात्कार किया। इसी दौरान उसके तीन अन्य साथी—सद्दाम, समीर और फरमान—वहां पहुंचे और उन्होंने भी पीड़िता के साथ दुष्कर्म किया। फरमान ने इस पूरी घटना का वीडियो भी बनाया।
जब पीड़िता की नानी को किसी माध्यम से यह वीडियो देखा तो वह दंग रह गई, तो उन्होंने आरोपी आमिर से इस बारे में पूछताछ की। इस पर आमिर ने धमकी दी कि यदि पुलिस में शिकायत की गई, तो जान से मार दिया जाएगा और वीडियो को सार्वजनिक कर बदनाम कर दिया जाएगा।पीड़िता ने पुलिस पर भी गंभीर मामले को दबाने का आरोप लगाया है। पीड़िता का कहना है कि पुलिस ने उसे धमकाते हुए कहा कि “तुमसे कोई शादी नहीं करेगा।”पीड़िता की नानी का आरोप है कि जब वे शिकायत लेकर फतेहपुर सीकरी थाने पहुंचे, तो पुलिस ने बार-बार तहरीर बदलवाने को कहा। भरोसा दिलाया गया कि कड़ी कार्रवाई होगी, लेकिन अंततः बलात्कार के मामले को छेड़छाड़ में बदल दिया गया।इतना ही नहीं, पुलिस ने पीड़िता को मजिस्ट्रेट के सामने बयान दिलाने के लिए ले जाते समय कथित रूप से दबाव बनाया और डरा-धमकाकर मनचाहे बयान दिलवाए। नाबालिग बच्ची भयभीत होकर वही बयान दे आई, जो पुलिस ने उसे सिखाया था।पीड़िता और उसकी नानी का यह भी आरोप है कि पुलिस ने मेडिकल न कराने के लिए बहाने बनाए और बच्ची को डराया कि अगर वह केस लड़ेगी, तो उसकी शादी और नौकरी नहीं हो पाएगी। पुलिस ने एक कोरे कागज पर भी नाबालिग से हस्ताक्षर करवा लिए, जिसमें लिखा गया कि वह अपनी मर्जी से मेडिकल नहीं कराना चाहती।तीन आरोपी अब भी खुलेआम घूम रहेपुलिस ने बदली हुई तहरीर के आधार पर सिर्फ आमिर को नामजद कर जेल भेज दिया, जबकि बाकी तीन आरोपियों—सद्दाम, समीर और फरमान—पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। पीड़िता और उसकी नानी का कहना है कि वे लगातार पुलिस के दबाव और धमकियों का सामना कर रहे हैं।
हिंदू संगठन ने खोला मोर्चा
इस मामले में हिंदू संगठन जनसंख्या समाधान फाउंडेशन ने पीड़िता का समर्थन करते हुए दोषी पुलिसकर्मियों और अन्य आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। संगठन के जिलाध्यक्ष सुदामा सिंह छौंकर ने कहा कि वे जल्द ही पुलिस आयुक्त से मिलकर न्याय की मांग करेंगे और यदि न्याय नहीं मिला, तो जिले और देशभर में प्रदर्शन करेंगे।
मुख्यमंत्री से न्याय की गुहार
अब पीड़िता और उसकी नानी ने वीडियो जारी कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मामले में हस्तक्षेप करने और दोषियों को सख्त सजा दिलाने की अपील की है। वहीं, पुलिस इस मामले में अपनी कार्यवाही को निष्पक्ष बताते हुए पीड़िता के आरोपों को गलत करार दे रही है।
क्या मिलेगा पीड़िता को न्याय?
अब देखना यह होगा कि पुलिस की इस कथित लापरवाही और पक्षपातपूर्ण कार्यवाही पर सरकार और उच्च अधिकारी क्या कदम उठाते हैं। क्या पीड़िता को न्याय मिलेगा, या फिर प्रशासन की उदासीनता इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल देगी?