पूर्व सैनिक संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने परिवार को बंधाया ढांढस
किरावली।”माँ के आँचल का सहारा, परिवार की ढाल और देश का सच्चा सपूत आज पंचतत्व में विलीन हो गया।”
भारतीय सेना की 12 असम राइफल्स में 24 वर्षों तक सेवा देने वाले मलपुरा गांव के वीर हवलदार राजपाल भगौर का पार्थिव शरीर शुक्रवार सुबह गांव पहुंचा, जहाँ पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया।
25 अप्रैल 2025 को ड्यूटी के दौरान उनका आकस्मिक निधन हो गया था। जैसे ही उनका पार्थिव शरीर गांव पहुँचा, माहौल गमगीन हो गया। हर आँख नम थी, हर दिल गर्व से भरा हुआ था। हजारों ग्रामीणों ने “राजपाल अमर रहे” के नारों के साथ अपने वीर को अंतिम विदाई दी।राजपाल अपने परिवार के इकलौते कमाने वाले सदस्य थे। कुछ समय पहले उनके छोटे भाई एक सड़क हादसे में दोनों पैर गंवा बैठे थे, जिसके बाद परिवार की सारी जिम्मेदारी राजपाल के कंधों पर आ गई थी। आज उनके जाने से न सिर्फ परिवार, बल्कि पूरा क्षेत्र गहरे शोक में डूबा हुआ है।
माँ की सूनी आँखें, बच्चों का बेसहारा चेहरा और पिता की कंपकंपाती आवाज ने हर किसी का दिल भिगो दिया। गाँव के हर गली-नुक्कड़ पर सिर्फ एक ही चर्चा थी — “राजपाल ने अपना फर्ज निभाया, अब समाज का फर्ज है उनके परिवार के साथ खड़ा होना।”सेना के जवानों ने सलामी देकर अपने साथी को विदाई दी। अंतिम संस्कार में पूर्व सैनिक संघर्ष समिति के संगठन मंत्री भोज कुमार फौजी, सह कोषाध्यक्ष सुरेश बाबू, उग्रसेन सिंह, हरेंद्रपाल, बादाम सिंह, बलबीर चाहर सहित बड़ी संख्या में अंतिम यात्रा में शामिल होकर पीड़ित परिवार को ढांढस बढ़ाया और सैनिक का पूरे सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कराया।गांव की पगडंडियों पर चलते हुए जब राजपाल की अंतिम यात्रा निकली, तो पूरा मलपुरा झुककर अपने वीर बेटे को नमन कर रहा था।सच्चे अर्थों में, राजपाल भगौर अब गाँव की आत्मा में अमर हो गए हैं।