इटावा। करीब 6 महीने पहले मौत हो चुकी कर्मचारी की ड्यूटी चुनाव में लगा दी गई। इतना ही नहीं चुनाव में मृत कर्मी के ड्यूटी न करने के बाद 6 दिसंबर देर शाम 50 कर्मियों को गैर हाजिर बता कर दो दिन का वेतन काटने के साथ-साथ वेतन वृद्धि रोकने के आदेश जारी कर दिए गए।
बता दें कि सीडीओ के स्तर से जारी हुए आदेश में हरी किशन को तृतीय मतदान अधिकारी के रूप में दर्शाया गया है जिसकी ड्यूटी पोलिंग पार्टी 110 में लगाई गई थी। सीडीओ के आदेश के अनुक्रम में ऐसा कहा गया है कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत मतदान कर्मी ने ड्यूटी से गैरहाजिर रहकर के गंभीर अपराध किया है जिसके लिए उसका 4 और 5 दिसंबर का वेतन काटने के साथ ही वेतन वृद्धि रोकने के आदेश जारी किए जाते हैं। ऐसे में सवाल यह खड़ा होता है कि जब कोई कर्मी मृत है तो फिर दो दिन का वेतन काटने और वेतन वृद्धि रोकने के आदेश का क्रियान्वयन कौन और कैसे करवाया जायेगा।
दरअसल चुनाव प्रकिया को अगर समझा जाए तो किसी भी शख्स की ड्यूटी लगने के बाद सबसे पहले उसका ड्यूटी कार्ड जारी किया जाता है। जिसके बाद उसका प्रशिक्षण होता है और प्रशिक्षण के बाद ही उसकी ड्यूटी बाकायदा मतदान कर्मी के रूप में लगाई जाती है। जब किसी का पहले ही निधन हो चुका है तो आखिरकार उसकी ड्यूटी कैसे लगी? उसका ड्यूटी कार्ड कैसे जारी हुआ? उसकी प्रशिक्षण प्रक्रिया कैसे पूरी हुई और उसका नाम उन मतदान कर्मियों की सूची में कैसे शामिल हुआ? यह कुछ ऐसे सवाल है जो बड़े गंभीर है।