मामला क्या था
25 अक्टूबर 2014 को वादी मुकदमा सुनील कुमार ने थाना शाहगंज में एक तहरीर दी थी, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि उनके 20 वर्षीय भाई अवधेश उर्फ नचु की मृत्यु एक दुर्घटना में हुई थी। वादी ने बताया कि उनका भाई एक्टिवा पर सवार होकर आगरा से चोमा शाहपुर रिश्तेदारी में जा रहा था, तभी राजस्थान बॉर्डर के पास अज्ञात वाहन ने उसकी एक्टिवा में टक्कर मारी और उसकी मृत्यु हो गई।
हालांकि, बाद में सुनील कुमार ने एक दूसरा प्रार्थना पत्र पेश किया, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि उनके भाई की हत्या उसके चचेरी साली से प्रेम संबंधों के कारण हुई थी। उन्होंने यह भी कहा कि आरोपियों ने भाई को ससुराल से बुलाकर सिर में घातक चोटें पहुंचाईं और उसकी हत्या कर दी। इस आरोप में सुनील ने गजेंद्र सिंह, ओमप्रकाश, नंद किशोर, योगेंद्र, और सचिन के खिलाफ आपराधिक षड्यन्त्र रचने और हत्या का आरोप लगाया था।
एफएसएल रिपोर्ट और अदालत का निर्णय
अदालत में एफएसएल रिपोर्ट प्रस्तुत की गई, जिसमें यह स्पष्ट किया गया कि म्रतक की मृत्यु एक दुर्घटना के कारण हुई थी, न कि हत्या। इसके अतिरिक्त, वादी के द्वारा पेश किए गए गवाहों और अन्य सबूतों से मामले की सच्चाई सामने नहीं आ सकी।
अपर जिला जज अपूर्व सिंह ने इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए और स्वतंत्र गवाहों के अभाव में आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया। वादी के अधिवक्ताओं द्वारा प्रस्तुत तर्कों के अनुसार, आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त प्रमाण नहीं मिले, जिससे उन्हें बरी कर दिया गया।
अपराध और जमानत
इस मामले में आरोपी नंद किशोर की मृत्यु मुकदमे के विचारण के दौरान हो गई थी, जिसके कारण उसके खिलाफ कार्यवाही समाप्त कर दी गई। बाकी आरोपियों को अदालत ने एफएसएल रिपोर्ट और अन्य सबूतों के आधार पर बरी कर दिया।
आरोपी और उनके अधिवक्ता की प्रतिक्रिया
आरोपियों के अधिवक्ता सुरेश चंद सोनी और विशाल प्रसाद ने अदालत में तर्क दिया कि उनके मुवक्किलों के खिलाफ कोई ठोस प्रमाण नहीं थे और एफएसएल रिपोर्ट ने यह साबित कर दिया कि यह मामला हत्या का नहीं, बल्कि एक दुर्घटना का था।