झांसी, उत्तर प्रदेश: देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, लेकिन झांसी जिले के चिरगांव क्षेत्र में स्थित दवरा गांव की तस्वीर आज भी किसी पिछड़े इलाके से कम नहीं है। सुल्तान आब्दी द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार, यह गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं जैसे पीने का साफ पानी, बिजली और पक्की सड़क से वंचित है। ग्रामीणों का जीवन बदहाल है और सबसे ज्यादा परेशानी स्कूल जाने वाले बच्चों को उठानी पड़ रही है।
कच्ची सड़कें बनीं बच्चों के लिए चुनौती, बारिश में और भी बदतर हालात
दवरा गांव के रास्ते आज भी कच्चे और ऊबड़-खाबड़ हैं। मानसून की शुरुआत के साथ ही इन रास्तों पर कीचड़ और बड़े-बड़े गड्ढे भर गए हैं, जिससे आवागमन किसी चुनौती से कम नहीं। ग्रामीणों ने बताया कि बारिश के दिनों में तो स्थिति इतनी भयावह हो जाती है कि बच्चों का स्कूल जाना मुश्किल हो जाता है। कई बार तो बच्चे इन कीचड़ भरे रास्तों पर फिसलकर गिर जाते हैं, जिससे उन्हें चोटें आती हैं और वे समय पर स्कूल नहीं पहुंच पाते। यह उनके भविष्य पर सीधा असर डाल रहा है।
बिजली और पानी का संकट: दिनभर गुल रहती है बिजली, महिलाएं कोसों दूर से लाती हैं पानी
दवरा गांव में बिजली और पानी की स्थिति भी बेहद खराब है। कई घरों में आज भी बिजली का कनेक्शन नहीं है, और जहां कनेक्शन हैं भी, वहां दिनभर बिजली गुल रहती है। बिजली की अनियमित आपूर्ति से ग्रामीणों का जीवन बाधित हो रहा है, खासकर गर्मी के इस मौसम में। वहीं, पीने के पानी के लिए महिलाओं को कोसों दूर स्थित हैंडपंपों और तालाबों पर निर्भर रहना पड़ता है। सुबह से ही पानी के लिए लंबी कतारें देखी जा सकती हैं, जो उनकी दैनिक दिनचर्या का एक थका देने वाला हिस्सा बन गया है।
ग्रामीणों का सवाल: ‘हमारा कसूर क्या है? सिर्फ आश्वासन क्यों?’
स्थानीय निवासियों में इस उपेक्षा को लेकर गहरा रोष है। उन्होंने बताया कि वे लंबे समय से अपनी समस्याओं को लेकर पंचायत प्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों से शिकायतें कर रहे हैं, लेकिन उन्हें हमेशा सिर्फ आश्वासन ही मिलते रहे हैं। विकास के वादे कागजों तक ही सीमित हैं, और धरातल पर कोई काम नहीं दिखता। ग्रामीणों का सवाल है कि “हमारा कसूर क्या है? हमें क्यों इन मूलभूत सुविधाओं से वंचित रखा जा रहा है, जबकि देश इतना विकास कर रहा है?”
ग्रामीणों ने मांग की है कि प्रशासन जल्द से जल्द इस ओर ध्यान दे और दवरा गांव में पानी, बिजली और पक्की सड़कों जैसी बुनियादी सुविधाओं को उपलब्ध कराए ताकि उन्हें और उनके बच्चों को एक बेहतर जीवन मिल सके। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हुआ, तो वे आंदोलन करने पर मजबूर होंगे।