आगरा: एक अहम कानूनी मामले में आगरा की एक अदालत ने सामूहिक दुराचार और आईटी एक्ट के तहत दर्ज मामले में एफ.आर. (फाइनल रिपोर्ट) को स्वीकृत कर दिया है। यह मामला वर्ष 2022 का है, जब पीड़िता ने दो आरोपियों के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे। अदालत ने इस मामले में पीड़िता की अनुपस्थिति को देखते हुए एफ.आर. की स्वीकृति दे दी।
वर्ष 2022 में दर्ज हुआ था मामला
मुकदमा थाना निबोहरा में दर्ज हुआ था, जिसमें पीड़िता ने आरोप लगाया था कि आरोपी वी.पी., जो कि टेंट व्यवसायी है, ने उसे और उसके पति को 18 अगस्त 2022 को अहमदाबाद बुलाया था। पीड़िता के अनुसार, आरोपी ने उसके पति को महीने के 15,000 रुपये और खुद पीड़िता को लेबर का खाना बनाने के लिए 10,000 रुपये प्रति माह देने का वादा किया था।
आगे पीड़िता ने कहा कि 5 अक्टूबर 2022 को आरोपी वी.पी. और उसके साथी आकाश ने मिलकर अपने घर पर एक पार्टी आयोजित की, जिसमें शराब पिलाई गई। इसके बाद, दोनों आरोपियों ने पीड़िता को नशे में धुत कर, उसके साथ सामूहिक दुराचार किया। आरोप है कि आरोपियों ने इस दौरान पीड़िता की अश्लील वीडियो बनाई और उसे वायरल करने की धमकी दी।
अश्लील वीडियो वायरल होने से हुआ विवाद
27 अक्टूबर 2022 को मौका देखकर पीड़िता और उसका पति आगरा लौट आए। हालांकि, आरोपियों ने गांव के लोगों के बीच पीड़िता की अश्लील वीडियो वायरल कर दी, जिससे पीड़िता और उसके परिवार को मानसिक पीड़ा हुई। पीड़िता ने इन आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया, लेकिन मामले की विवेचना के दौरान पुलिस ने एफ.आर. दाखिल कर दिया।
अदालत ने एफ.आर. की स्वीकृति दी
मामले में एफ.आर. (फाइनल रिपोर्ट) दाखिल होने के बाद, अदालत ने कई बार पीड़िता को एफ.आर. पर आपत्ति दर्ज करने के लिए हाजिर होने का आदेश दिया था, लेकिन वादनी ने अदालत में उपस्थित होने से इंकार कर दिया। इसके बाद, एसीजेएम 4, प्रगति सिंह ने मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए एफ.आर. को स्वीकृत कर दिया।
आईटी एक्ट के तहत भी आरोप
सामूहिक दुराचार के आरोपों के साथ-साथ आरोपियों पर आईटी एक्ट के तहत भी आरोप लगाए गए थे, क्योंकि आरोपियों ने पीड़िता की अश्लील वीडियो को वायरल किया, जो कि साइबर क्राइम के तहत एक गंभीर अपराध है। आईटी एक्ट के तहत, किसी भी व्यक्ति द्वारा बिना अनुमति के किसी की अश्लील तस्वीर या वीडियो बनाना और उसे प्रसारित करना कानूनन अपराध माना जाता है।
इस मामले में पीड़िता की अनुपस्थिति और एफ.आर. की स्वीकृति के बावजूद, यह साफ हो गया कि यदि कोई व्यक्ति कानूनी प्रक्रिया के तहत अपनी शिकायत को सही तरीके से दर्ज नहीं कराता है और अदालत में समय पर उपस्थित नहीं होता, तो मामला निस्तारित हो सकता है। यह एक गंभीर विषय है कि पीड़िता को न्याय मिलने में देरी क्यों हो रही है, जबकि आरोपी स्पष्ट रूप से दोषी प्रतीत हो रहे हैं।