आगरा, तौहीद खान : शहर में साइबर अपराधियों ने ठगी का एक नया और खतरनाक तरीका अपनाया है, जिसे ‘डिजिटल अरेस्ट’ कहा जाता है। इस तरीके का इस्तेमाल कर उन्होंने दो अलग-अलग बुजुर्ग दंपत्तियों से कुल 65 लाख रुपये की ठगी की है। दोनों ही मामलों में पीड़ितों को डरा-धमकाकर पैसे ट्रांसफर कराए गए। पुलिस ने दोनों मामलों में मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
क्या है डिजिटल अरेस्ट और कैसे हुई ठगी?
‘डिजिटल अरेस्ट’ में साइबर अपराधी पीड़ितों को लगातार कॉल पर रखते हैं और उन्हें किसी फर्जी केस में फंसा होने का डर दिखाते हैं, जिससे पीड़ित मानसिक दबाव में आकर उनकी हर बात मानने लगता है।
पहला मामला: दयाल बाग के मऊ रोड पर रहने वाली बुजुर्ग सुषमा को 16 जुलाई को एक अनजान नंबर से कॉल आया। फोन करने वाले ने खुद को मुंबई कोलाबा का अधिकारी बताया और कहा कि उनके नाम पर एक बैंक खाता खोलकर बड़ी रकम का लेन-देन हुआ है, जिसकी जांच सीबीआई कर रही है। सुषमा को इतना डराया गया कि उन्होंने दहशत में आकर एक ही दिन में 23 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए।
दूसरा मामला: इसी तरह का मामला सिंचाई विभाग से रिटायर्ड सुरेंद्र कुमार के साथ हुआ। उन्हें 18 जुलाई को एक कॉल आया, जिसमें उन्हें जेट एयरवेज में मनी लॉन्ड्रिंग के एक फर्जी केस में फंसा होने का डर दिखाया गया। सुरेंद्र कुमार 6 दिनों तक डिजिटल अरेस्ट में रहे और डर के मारे 43 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए।
ठगों के मोबाइल हुए स्विच ऑफ
दोनों मामलों में जब पीड़ितों ने पैसे ट्रांसफर कर दिए, तो ठगों के मोबाइल नंबर स्विच ऑफ हो गए। इसके बाद उन्हें अपनी ठगी का एहसास हुआ। दोनों ही मामलों में साइबर थाने में FIR दर्ज की गई है और पुलिस इन अपराधियों को पकड़ने की कोशिश कर रही है। यह घटना दर्शाती है कि साइबर अपराधी लगातार अपने तरीकों में बदलाव कर रहे हैं और बुजुर्गों को आसानी से अपना निशाना बना रहे हैं। पुलिस ने लोगों से अपील की है कि वे किसी भी अनजान कॉल या मैसेज पर भरोसा न करें और ऐसे मामलों की तुरंत पुलिस को सूचना दें।