आध्यात्म की गहराई से लेकर कॉमिक्स की दुनिया तक, पुस्तक मेला बन रहा साहित्य की हर विद्या का साक्षी

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जीआइसी मैदान में लगे पुस्तक मेले में हिंदी, संस्कृत, अंग्रजी, उर्दू सहित अन्य भारतीय भाषाओं की पुस्तकें भी

आगरा। यदि ज्ञान को सदैव जीवित एवं वृहद बनाना चाहते हैं और चाहते हैं कि आपका दिया उपहार कभी भी पुराना न हो तो समाज में एक नई पहल आरंभ करें। फूलों के गुलदस्ते के स्थान पर पुस्तकें देना आरंभ करें। पुस्तकों के शब्द जीवन को उर्जावान करने के साथ ज्ञान की रोशनी भी देते हैं। यह बातें कहीं मुख्य अतिथि केंद्रीय राज्य मंत्री परिवार एवं स्वास्थ कल्याण मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल ने।

जीआइसी मैदान पर अक्षरा साहित्य अकादमी द्वारा लगाए गए नौ दिवसीय पुस्तक मेला एवं साहित्य उत्सव का शुभारंभ हुआ। केंद्रीय राज्य मंत्री प्रो एसपी सिंह बघेल के साथ मधु बघेल, डॉ रंजना बंसल, महंत योगेश पुरी, नजीर अहमद, डॉ संजीव और प्रो. लवकुश मिश्रा ने दीप प्रज्जवलित किया। राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष श्रुति सिन्हा ने सभी अतिथियों का परिचय दिया। राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ विनोद माहेश्वरी, उपाध्यक्ष वत्सला प्रभाकर, सहसचिव कैप्टन शीला बहल, श्वेता अग्निहोत्री ने सभी का स्वागत किया। जॉन मिल्टर पब्लिक स्कूल के बच्चों ने गणेश वंदना की मनमोहक प्रस्तुति दी।

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महंत योगेश पुरी ने कहा कि आगरा में पुस्तक मेले मे आये स्कूली बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि पुस्तक और गैजेट्स में बहुत बड़ा फर्क ये है कि पुस्तकों का अध्ययन कल्पनाशक्ति को बढ़ाते हुए आनंदित करता है जबकि गैजेट्स का अधिक प्रयोग दिमाग को संकुचित कर निरस बनाकर थका देता है।
डॉ रंजना बंसन ने कहा कि हर छह माह में इस तरह के आयोजन आगरा की धरती पर होते रहने चाहिए। हर व्यक्ति यदि प्रतिदिन आधा घंटे भी पुस्तक पढ़े तो बहुत सारी बीमारियों से खुद को बचा सकता है।

प्रो.लवकुश मिश्रा ने पाठ्यक्रम की पुस्तकें योग्यता बढ़ाती हैं और साहित्य पढ़ने से संवेदनशील व्यक्तित्व बनता है। पुस्तकें जीवन दर्शन देती हैं। उद्घाटन सत्र के समापन पर राष्ट्रीय सचिव दीपक सिंह सरीन ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

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