आगरा, उत्तर प्रदेश: आगरा पुलिस कमिश्नर के निर्देश पर अपराधों पर अंकुश लगाने के अभियान के तहत, थाना न्यू आगरा पुलिस ने ताश के पत्तों से हार-जीत की बाजी लगाकर जुआ खेल रहे चार जुआरियों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर वीरेंद्र कुशवाहा, विजेंद्र भारद्वाज, करन और सुनील को ओम नगर में अस्तबल के पास से रंगे हाथ पकड़ा। इनके पास से 52 ताश के पत्ते और ₹10,520 नकद बरामद किए गए हैं।
पुलिस की ‘तीसरी नज़र’ और बड़े जुआरियों का बेखौफ धंधा
पुलिस का कहना है कि अब उनकी “तीसरी नजर” उन बड़े जुआरियों पर भी है जो पुलिस से दूरी बनाकर हर दिन लाखों रुपये के दांव लगवा रहे हैं। हालांकि, यह भी चिंता का विषय है कि आगरा में कमिश्नरेट प्रणाली लागू होने के बावजूद जुआरियों और सटोरियों के अवैध धंधे धड़ल्ले से चल रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, इन सटोरियों को पुलिस की कार्रवाई की भनक पहले ही लग जाती है, जिससे पुलिस की पूरी तैयारी धरी की धरी रह जाती है।
बताया जा रहा है कि हर रोज़ लाखों रुपये की खाईबाड़ी (सट्टे का कारोबार) होती है। सट्टे और जुए से कई परिवार बर्बाद हो चुके हैं और कई परिवार बर्बादी की कगार पर हैं, लेकिन कथित तौर पर नामचीन सटोरियों और जुआरियों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। इन पर पुलिस का कोई खौफ नहीं दिखाई देता।
पूर्व कमिश्नर के अभियान के बाद भी फिर सक्रिय हुए अपराधी
कुछ महीने पहले, आगरा के तत्कालीन पुलिस कमिश्नर जे रविंदर गौड ने भी जुआरियों और सटोरियों के खिलाफ एक बड़ा अभियान चलाया था। उस दौरान कई जुआरियों और सटोरियों के खिलाफ कार्रवाई कर उन्हें जेल भेजा गया था। हालांकि, जेल से छूटने के बाद ये सभी फिर से सक्रिय हो गए हैं।
शहर में सट्टे के बड़े अड्डे और सफेदपोशों का संरक्षण?
रिपोर्ट के अनुसार, थाना रकाबगंज क्षेत्र का रहने वाला बॉबी सट्टे का एक बड़ा अड्डा चलाता है और उसे “खाईबाड़ी का बड़ा बादशाह” कहा जाता है, जहां हर दिन लाखों रुपये का लेनदेन होता है। बॉबी के साथ टीकम, प्रेम, अनुज, विशाल, भंडारी, बजरंग और बाबा जैसे नाम भी सट्टे के इस अवैध कारोबार में शामिल बताए जा रहे हैं।
यह भी आरोप है कि पूर्व में हुई कार्रवाई और जेल जाने के बाद भी ये सभी लोग इसलिए सक्रिय हुए हैं क्योंकि इन्हें कुछ सफेदपोश आकाओं का संरक्षण मिल रहा है, जिससे इनके हौसले बुलंद हैं।
अन्य चर्चित नामों में:
- बालूगंज नई बस्ती टंकी के पीछे पदम की गद्दी चलती है।
- अन्य बड़े जुआरियों में अनिल उर्फ पंजू, सुनील, पंकज चूहा, इंद्रजीत, बिन्नी, अज्जू लंगड़ा, विनोद जी, टोनी सिंधी, गब्बर अब्बासी, राजू वेद, अमित गुप्ता उर्फ रानू, अंकित अग्रवाल और उसका भाई कमलू (सिर की मंडी), जगदीशपुरा पुलिया के पास सतीश, पृथ्वीनाथ चौकी का बद्रीनाथ, बंटी यादव (बैनारा), निखिल अग्रवाल और अंकित जैसे नाम शामिल हैं।
यह भी जानकारी मिली है कि मास्टरमाइंड सटोरियों और जुआरियों ने पांच सितारा होटलों को भी जुए, सट्टे और डांस का अड्डा बना रखा है। वे अन्य राज्यों के बड़े जुआरियों के आधार कार्ड पर होटल में अलग-अलग रूम लेकर पूरा खेल खेलते हैं, क्योंकि बिना शिकायत के पुलिस पांच सितारा होटलों में एंट्री नहीं कर सकती। इसके अलावा, पॉश कॉलोनियों के घरों और बड़े बाजारों में बड़ी दुकानों को भी जुए और सट्टे का अड्डा बना रखा है।
कमिश्नर से सवाल: क्या बड़े जुआरियों पर होगी कार्रवाई?
सवाल उठ रहा है कि थाना सिकंदरा क्षेत्र में जुआरियों पर हुई कार्रवाई में संपत्ति जब्तीकरण की कार्रवाई आखिरकार क्यों नहीं हो रही है। पूर्व पुलिस कमिश्नर जे रविंदर गौड की कार्रवाई के बाद सटोरियों और जुआरियों ने थाने परिसर में जुआ और सट्टा न करने की कसमें खाई थीं, बावजूद इसके सभी लोग अपने पुराने धंधे पर वापस लौट आए हैं।
यह बड़ा सवाल है कि क्या आगरा पुलिस कमिश्नर दीपक कुमार खुले में शराब पीने वालों पर चल रहे अभियान की तरह जुआरियों और सटोरियों के खिलाफ भी कोई बड़ा अभियान चलाएंगे? क्या आगरा पुलिस इन सभी चर्चित सटोरियों और जुआरियों का पुराना इतिहास निकालकर उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करेगी? और सबसे महत्वपूर्ण, जो सफेदपोश इन्हें संरक्षण दे रहे हैं, उनके खिलाफ भी बड़ी कार्रवाई कब होगी, जिससे इन सटोरियों और जुआरियों के हौसले पस्त हों?