गणपति बाप्पा मोरिया, गणपति बप्पा मोरिया के जयकारों से गोकुलपुरा स्थित सिद्धिविनायक मंदिर गुंजायमान हो रहा था। दिन भर भक्तों का तांता लगा रहा। लोग गणपति के दर्शन कर उनका आशीर्वाद लेते नजर आए। ये मंदिर काफी पुराना है। आइए जानते है इस मंदिर के बारे में।
सिद्धिविनायक मंदिर गोकुलपुरा आगरा में स्थित एक प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर गणेश जी को समर्पित है। मंदिर की स्थापना मुगल काल में वर्ष 1646 में मराठा और गुजराती नागर समुदाय के लोगों ने की थी। मंदिर में गणेश जी की एक विशाल प्रतिमा स्थापित है, जो सफेद संगमरमर से बनी हुई है। मंदिर का वास्तुकला मुगल और गुजराती शैली का मिश्रण है।
मंदिर का इतिहास:
सिद्धिविनायक मंदिर की स्थापना मुगल काल में वर्ष 1646 में मराठा और गुजराती नागर समुदाय के लोगों ने की थी। मंदिर का निर्माण गुजराती नागर शैली में किया गया था। मंदिर की स्थापना के बाद, यह गुजराती और मराठा समुदायों के लोगों की आस्था का केंद्र बन गया।
मंदिर का जीर्णोद्धार:
ग्वालियर के शासक महादजी सिंधिया ने वर्ष 1780 में मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था। महादजी सिंधिया ने मंदिर को “डेरा गणेश” नाम दिया था। उन्होंने मंदिर की देखभाल और नियमित खर्च के लिए प्रतिदिन आठ आना की सनद मराठा शासन के नाम जारी की थी।
मंदिर की विशेषताएं:
मंदिर में गणेश जी की एक विशाल प्रतिमा स्थापित है, जो सफेद संगमरमर से बनी हुई है। प्रतिमा की ऊंचाई लगभग 10 फीट है। प्रतिमा के चारों ओर फूलों और हार से सजावट की गई है। मंदिर का मुख्य द्वार गुजराती नागर शैली में बना है। द्वार पर भगवान गणेश, कार्तिकेय और शिव की मूर्तियां बनी हुई हैं। मंदिर के अंदर एक छोटा सा हॉल है, जहां लोग पूजा-अर्चना करते हैं।