झांसी (सुल्तान आब्दी): उत्तर प्रदेश गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष श्याम बिहारी गुप्ता हाल ही में एक अप्रत्याशित विवाद के केंद्र में आ गए हैं। यह विवाद किसी और ने नहीं, बल्कि उनकी पत्नी मंजू गुप्ता के एक तीखे सोशल मीडिया पोस्ट के कारण खड़ा हुआ है। मंजू गुप्ता ने सार्वजनिक रूप से अपने पति के धार्मिक कृत्यों और पूजा-पाठ को मात्र एक “दिखावा” और “लोगों की आंखों में धूल झोंकने का प्रयास” करार दिया है।
पत्नी की सोशल मीडिया टिप्पणी से मची सनसनी
मंजू गुप्ता ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक कड़ी टिप्पणी करते हुए लिखा कि उनके पति द्वारा किया जाने वाला धार्मिक आडंबर और पूजा-पाठ सिर्फ एक दिखावा है। उन्होंने स्पष्ट रूप से आरोप लगाया कि यह सब कर्मकांड केवल लोगों को धोखे में रखने और एक आदर्शवादी छवि बनाने की कोशिश है, जबकि वास्तविकता इसके विपरीत है। उनकी इस टिप्पणी ने सोशल मीडिया पर तुरंत सनसनी फैला दी, जिससे पारिवारिक और सार्वजनिक जीवन से जुड़े कई सवाल खड़े हो गए।
“घर में धर्म नहीं, सिर्फ दिखावा; बाहर भक्ति की नौटंकी”
अपनी टिप्पणी में मंजू गुप्ता ने गहरे व्यंग्य का इस्तेमाल करते हुए कहा, “घर में धर्म नहीं, सिर्फ दिखावा है; बाहर भक्ति की नौटंकी चल रही है।” उनके इस कथन से स्पष्ट होता है कि उनके अनुसार, सार्वजनिक रूप से धार्मिकता और गौ सेवा का प्रदर्शन किया जा रहा है, जबकि पारिवारिक स्तर पर धार्मिक मूल्यों और जिम्मेदारियों की अनदेखी हो रही है। उन्होंने यह भी इंगित किया कि यह सब समाज में एक सम्मानित व्यक्ति की छवि बनाने का प्रयास मात्र है, जबकि वास्तविक पारिवारिक मूल्यों को नजरअंदाज किया जा रहा है।
टिप्पणी में झलका पत्नी का दर्द
मंजू गुप्ता की टिप्पणी में एक पत्नी का दर्द और निराशा स्पष्ट रूप से झलक रही थी। उन्होंने यह संदेश देने की कोशिश की कि सच्ची गौ सेवा और धर्म केवल गायों को चारा खिलाने या मंदिरों में पूजा करने तक सीमित नहीं है। उनके अनुसार, वास्तविक सेवा और सद्भाव की शुरुआत घर से होती है। यदि कोई व्यक्ति अपने परिवार के सदस्यों को सम्मान, सुरक्षा और प्रेम नहीं दे सकता, तो समाज के सामने धार्मिक दिखावा करना मात्र एक पाखंड है। गौरतलब है कि आयोग के अध्यक्ष श्याम बिहारी गुप्ता हाल ही में ग्वालियर स्थित जौरासी मंदिर में पूजा-अर्चना करने गए थे और उन्होंने इस दौरान की तस्वीरें अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर साझा की थीं। इसी पोस्ट पर टिप्पणी करते हुए उनकी पत्नी ने इन धार्मिक कृत्यों को लोगों को धोखा देने का प्रयास बताया।
सार्वजनिक प्रतिक्रियाएं और पोस्ट डिलीट
इस विवादास्पद बयान के सार्वजनिक होने के बाद समाज में मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। कुछ लोगों ने इसे एक पीड़ित पत्नी की सच्ची आवाज के रूप में देखा, जबकि अन्य ने इसे एक निजी पारिवारिक मामला बताकर टिप्पणी करने से परहेज किया। हालांकि, इस घटना ने निश्चित रूप से गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष की सार्वजनिक छवि पर सवाल खड़े कर दिए हैं और समाज में दिखावे और वास्तविक आस्था के बीच के अंतर पर बहस छेड़ दी है। बढ़ते विवाद को देखते हुए, मंजू गुप्ता ने बाद में अपने सोशल मीडिया अकाउंट से वह टिप्पणी हटा दी।
इस घटनाक्रम ने उत्तर प्रदेश के राजनीतिक और सामाजिक हलकों में चर्चा का विषय बना दिया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस विवाद का श्याम बिहारी गुप्ता के सार्वजनिक जीवन और गौ सेवा आयोग के कामकाज पर क्या प्रभाव पड़ता है।