Agra News: मुठभेड़ में पकड़े गए गौकशी के आरोपी ने कोर्ट में खोली पोल, पुलिस के खिलाफ FIR के आदेश

Jagannath Prasad
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आगरा, उत्तर प्रदेश:आगरा पुलिस की मुठभेड़ शैली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। रकाबगंज थाने के लिए गौकशी के एक आरोपी के साथ हुई मुठभेड़ गले की फांस बन गई है। इस मामले में विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) कोर्ट ने खुद पुलिस के खिलाफ ही मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए हैं, जब मुठभेड़ में घायल हुए आरोपी ने कोर्ट में पुलिस की कहानी पर सवाल उठाते हुए गंभीर आरोप लगाए। इस घटना से आगरा पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं और विभाग के लिए यह मामला बड़ी मुसीबत बन गया है।

क्या है पूरा मामला?

रकाबगंज पुलिस ने विगत 31 मई को सदर थाना क्षेत्र निवासी इमरान पुत्र अफजाल को मुठभेड़ में गिरफ्तार करने का दावा किया था। पुलिस के अनुसार, मुठभेड़ के दौरान इमरान के पैर में गोली लगी थी। पुलिस ने यह भी बताया था कि अभियुक्त के पास से एक तमंचा, सफेद बोरे में प्रतिबंधित मांस और एक स्कूटर भी बरामद हुआ है। पुलिस ने दावा किया था कि इमरान का साथी, लोहामंडी क्षेत्र निवासी समीर, घटनास्थल से भागने में सफल रहा।

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कोर्ट में इमरान ने लगाए गंभीर आरोप

जब घायल इमरान को कोर्ट में पेश किया गया, तो उसने जज के सामने पुलिस को ही कटघरे में खड़ा कर दिया। इमरान ने दावा किया कि पुलिस ने उसे पहले पकड़ा, उसका मेडिकल कराया, और उसके बाद उसे मारा-पीटा। उसने आरोप लगाया कि बाद में उसके पैर में गोली मारी गई और इसी घटना को पुलिस ने मुठभेड़ का नाम दे दिया। इमरान ने न्यायालय में अपनी चोटें भी दिखाईं।

इमरान ने यह भी कहा कि न तो उसके पास से प्रतिबंधित मांस बरामद हुआ और न ही कोई तमंचा। उसने आरोप लगाया कि मांस और अन्य बरामदगी पुलिस ने अपने स्तर से इंतजाम कर दिखाई थी।

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कोर्ट ने दोबारा मेडिकल कराया तो सामने आई नई चोटें

इमरान का बयान सुनते ही विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) ने मामले की गंभीरता को समझते हुए, आरोपी का फिर से मेडिकल कराने का आदेश दिया। कोर्ट के आदेश पर जब आरोपी का दोबारा मेडिकल हुआ, तो उसके शरीर पर दो नई चोटें पाई गईं, जो पुलिस के मुठभेड़ के दावे पर सवाल उठाती हैं।

पुलिस के खिलाफ FIR और डीजीपी को पत्र

नई चोटों के सामने आने के बाद, कोर्ट ने पुलिस के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश देने के साथ ही उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (DGP) को भी इस संबंध में पत्र लिखा है। कोर्ट ने इस घटना को मानवाधिकार का उल्लंघन माना है और मामले में विभागीय जांच कराने की बात कही है।

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इस आदेश से आगरा पुलिस में हड़कंप मच गया है। अपनी गर्दन फंसते देख पुलिस अब मामले में रिवीजन दायर करने पर भी विचार कर रही है और इस संबंध में कानूनी सलाह ली जा रही है। यह मामला पुलिस की पारदर्शिता और कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है, खासकर तब जब आगरा पुलिस पिछले एक महीने से लगातार मुठभेड़ों में शामिल रही है।

 

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