अलीगंज (एटा): गौतम बुद्ध इंटर कॉलेज से जुड़ा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है, और अब इस मामले में निवेशकों की बेचैनी काफी बढ़ गई है। कॉलेज प्रबंधन के खिलाफ वित्तीय अनियमितताओं के आरोप में प्रशासन द्वारा FIR दर्ज करने के बाद जहां सख्ती के संकेत मिले हैं, वहीं उन लोगों की मुश्किलें बेतहाशा बढ़ गई हैं जिन्होंने मोटी रकम देकर कॉलेज परिसर में बनी दुकानें खरीदी थीं।
निर्माण पर रोक, लाखों अटके
प्रशासन की कार्रवाई के बाद फिलहाल निर्माण पर रोक लगा दी गई है। ऐसे में जिन लोगों ने दुकानों के लिए लाखों रुपये दिए थे, उनका भविष्य अब अधर में लटक गया है। इन निवेशकों को न तो दुकान मिल रही है, और न ही उनके पैसे लौटने की कोई उम्मीद नजर आ रही है।
रसीद, अनुबंध सब बेकार!
पीड़ित निवेशकों का कहना है कि उन्होंने कॉलेज प्रबंधन से बाकायदा रसीद, अनुबंध व सहमति पत्र के जरिए दुकानें खरीदी थीं। अब जब प्रशासन ने निर्माण को अवैध मानते हुए रोक लगाई है, तो न तो कोई जवाबदेही तय हो रही है और न ही उनके पैसे की सुरक्षा को लेकर कोई आश्वासन दिया गया है।
एक पीड़ित निवेशक ने दर्द बयां करते हुए कहा, “मैंने जीवनभर की जमा पूंजी लगाकर दुकान खरीदी थी, अब सबकुछ लुटता नजर आ रहा है।” उन्होंने बताया कि कॉलेज प्रबंधन ने उनसे दुकान देने के नाम पर 20 लाख रुपये लिए थे। अब प्रशासन कह रहा है कि निर्माण अवैध है और मामला जांच में है। ऐसे में न तो दुकान मिल रही और न ही पैसे लौटाने की कोई बात हो रही।
प्रशासन की सख्ती, लेकिन निवेशकों का क्या?
जिलाधिकारी प्रेम रंजन सिंह ने पहले ही साफ कर दिया है कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा और मामले की जांच शुरू कर दी गई है, संबंधित दस्तावेज खंगाले जा रहे हैं। लेकिन अब सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि इन निर्दोष निवेशकों की सुनवाई कौन करेगा?
प्रश्न यह भी है कि अगर निर्माण अवैध था, तो पहले क्यों नहीं रोका गया? जब दुकानें बिक चुकी हैं, तब की गई यह कार्रवाई खरीदारों की मुश्किलों को और बढ़ा रही है।
निवेशकों की मांग: न्याय या पैसा वापस!
निवेशकों की साफ मांग है कि या तो उन्हें वैध तरीके से दुकानें सौंपी जाएं या फिर उनकी पूरी रकम ब्याज सहित वापस दिलाई जाए।
फिलहाल प्रशासन की कार्रवाई जारी है, लेकिन इन पीड़ितों को राहत कब मिलेगी, यह समय ही बताएगा। क्या प्रशासन इन निवेशकों के हित में कोई ठोस कदम उठाएगा, या उन्हें अपनी गाढ़ी कमाई से हाथ धोना पड़ेगा?