लखनऊ: देश की एक हाईकोर्ट ने संविदा कर्मचारियों (Contract Employees) के हक में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, जिससे लाखों अस्थाई कर्मचारियों को स्थायी (Regular) नौकरी मिलने की उम्मीद जगी है। यह फैसला उन कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है, जो सालों से कम वेतन और अस्थाई स्थिति में काम कर रहे थे और हर साल कॉन्ट्रैक्ट के नवीनीकरण को लेकर चिंतित रहते थे।
हाईकोर्ट का अहम आदेश
कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि यदि कोई कर्मचारी 10 से 15 साल तक लगातार सेवाएं दे रहा है और विभाग को उसकी आवश्यकता है, तो उसे केवल संविदा पर रखकर उसका शोषण नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने इसे संविधान के समानता के अधिकार और कर्मचारी के मूल अधिकारों का उल्लंघन बताया है।
अदालत ने सरकार को निर्देश दिया है कि वह एक व्यवस्थित प्रक्रिया बनाकर योग्य कर्मचारियों को स्थायी पदों पर समायोजित करे। इसका मतलब है कि अब किसी भी कर्मचारी को सिर्फ संविदा पर होने के कारण बाहर नहीं किया जा सकेगा।
किन विभागों और कर्मचारियों को मिलेगा फायदा?
फिलहाल यह आदेश उस विशिष्ट राज्य के लिए लागू हुआ है जहां यह मामला कोर्ट में था। हालांकि, इस फैसले के बाद देशभर के अन्य राज्यों पर भी अपने संविदा कर्मचारियों की स्थिति पर पुनर्विचार करने का दबाव बन सकता है।
इस फैसले का सबसे ज़्यादा असर शिक्षा, स्वास्थ्य, नगर निगम, पंचायत, ग्रामीण विकास, परिवहन, कृषि, और आंगनबाड़ी/आशा कार्यकर्ता जैसे महत्वपूर्ण विभागों में कार्यरत संविदा कर्मचारियों पर पड़ने की संभावना है।
किन विभागों को सबसे ज्यादा लाभ होगा?
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शिक्षा विभाग (शिक्षक, शिक्षामित्र)
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स्वास्थ्य (नर्स, डॉक्टर, आशा वर्कर)
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नगर निगम
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पंचायत और ग्रामीण विकास
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कृषि, परिवहन, आंगनबाड़ी आदि
स्थायीकरण के लिए शर्तें: कोर्ट ने स्थायीकरण के लिए कुछ स्पष्ट शर्तें भी रखी हैं:
- कम से कम 5 साल तक लगातार सेवा दी हो।
- कर्मचारी के पास शैक्षणिक योग्यता पूरी हो।
- सेवा का रिकॉर्ड अच्छा हो, यानी प्रदर्शन में कोई शिकायत न हो।
- कर्मचारी के खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई न हुई हो।
इन सभी मानदंडों की जांच के बाद ही कर्मचारी को स्थायी किया जाएगा।
आवश्यक दस्तावेज और आगे की प्रक्रिया
जब स्थायीकरण की प्रक्रिया शुरू होगी, तो कर्मचारियों को कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज जमा करने होंगे, जैसे:
- संविदा नियुक्ति पत्र
- सेवा प्रमाण पत्र (Experience Letter)
- आधार कार्ड या अन्य पहचान पत्र
- शैक्षणिक योग्यता प्रमाण पत्र
- चरित्र प्रमाण पत्र
- हालिया पासपोर्ट साइज फोटो
ये दस्तावेज एक ऑनलाइन पोर्टल या संबंधित विभागीय कार्यालय में जमा करने होंगे। संभावना है कि कई राज्य इसके लिए अलग से ऑनलाइन पोर्टल भी शुरू कर सकते हैं।
आगे की प्रक्रिया चरणबद्ध तरीके से लागू की जाएगी:
- सरकार को कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए एक समिति गठित करनी होगी।
- यह समिति सभी पात्र कर्मचारियों की जांच करेगी।
- पोर्टल पर आवेदन प्रक्रिया शुरू होगी और कर्मचारियों को दस्तावेज अपलोड करने का मौका मिलेगा।
- समिति दस्तावेजों की जांच के बाद चयनित कर्मचारियों की सूची जारी करेगी।
- अंत में, स्थायी नियुक्ति पत्र जारी किए जाएंगे।
यह पूरी प्रक्रिया चरणबद्ध तरीके से लागू की जाएगी, यानी सभी योग्य कर्मचारियों को धीरे-धीरे नियमित किया जाएगा।
क्या हर संविदा कर्मचारी को मिलेगा फायदा?
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि हर संविदा कर्मचारी को स्थायी नौकरी मिलना ज़रूरी नहीं है। यह फैसला केवल योग्य, अनुशासित, और लंबे समय से सेवाएं देने वाले कर्मचारियों पर लागू होगा। इसके अतिरिक्त, संबंधित राज्य सरकार की नीतियां और विभागीय दिशानिर्देश भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
क्यों है यह फैसला ऐतिहासिक?
- यह उन संविदा कर्मचारियों के लिए एक बड़ी जीत है, जो सालों से न्याय और स्थायित्व की मांग कर रहे थे।
- कोर्ट ने उनके अधिकारों को संवैधानिक संरक्षण प्रदान किया है।
- यह फैसला अन्य राज्यों के लिए एक मॉडल केस के रूप में कार्य कर सकता है।
- स्थायी होने पर कर्मचारियों को बेहतर वेतन, अन्य सरकारी सुविधाएं और सुरक्षा मिलेगी।
संविदा कर्मचारियों के लिए यह फैसला एक नई जिंदगी की शुरुआत जैसा है। अब उन्हें साल-दर-साल कॉन्ट्रैक्ट बढ़वाने की चिंता नहीं करनी पड़ेगी। यदि आप या आपके जानने वाले किसी विभाग में संविदा पर कार्यरत हैं, तो उन्हें इस महत्वपूर्ण फैसले की जानकारी अवश्य दें, और जैसे ही राज्य सरकार आवेदन प्रक्रिया शुरू करे, तुरंत आवेदन करें।