आगरा। डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय में कर्मचारी के साथ मारपीट के वीडियो ने सियासी भूचाल मचा दिया है। कर्मचारी की पिटाई का वीडियो कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने एक्स पर पोस्ट किया है। राहुल गांधी ने एक्स पर लिखा है कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्रों की गुंडई गोरखपुर के बाद आगरा में दिखाई दी है। वायरल वीडियो में एबीवीपी के छात्रनेता कर्मचारी को लाठी-डंडों से दौड़ा-दौड़ाकर पीट रहे हैं। बचाव के लिए आए कर्मचारियों को भी नहीं बक्शा है। हैरत तो इस बात की है कि वीडियो सामने आने के बाद भी पुलिस ने कोई कारवाई नहीं की है। जबकि पिटने वाले कर्मचारी को गिरफ्तार कर उसके खिलाफ ही केस दर्ज कर लिया है।
ये है पूरा घटनाक्रम
मामला 24 जनवरी का है। एबीवीपी का एक कार्यकर्ता विश्वविद्यालय में कोई मार्कशीट बनवाने के लिए पहुंचा था। उसकी कर्मचारी आशीष के साथ कोई कहासुनी हो गई। इसके बाद दोनों में मारपीट होने लगी। इतने में एबीवीपी के कार्यकर्ता ने अपने साथियों को इसकी सूचना दे दी। सूचना पर 40 से 50 कथित छात्रनेताओं का गुट विश्वविद्यालय में आ धमका और उन्होंने आते ही कर्मचारी आशीष को पीटना शुरू कर दिया। बचाव में आए कर्मचारियों के साथ भी मारपीट की गई। एबीवीपी के कार्यकर्ताओं का आरोप है कि कर्मचारियों ने छात्रनेता प्रशांत यादव को पीटा था। इसके बाद विवाद हुआ है।
संगठन का पदाधिकारी जांच में शामिल
कर्मचारी के साथ हुई मारपीट की तहरीर थाना हरीपर्वत में दी गई थी, लेकिन उसकी तहरीर पर पुलिस ने कोई एक्शन नहीं लिया। जबकि एबीवीपी की ओर से कर्मचारियों पर केस दर्ज कर लिया है। इसके बाद पुलिस ने आशीष को गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन कोर्ट से उसे 14 दिन की जमानत मिल गई है। इस पूरे मामले में एबीवीपी की मांग पर कुलपति प्रो आशु रानी ने विश्वविद्यालय कर्मचारियों के कार्यालय को सील कर चार सदस्यीय कमेटी जांच के लिए गठित कर दी है। अब सवाल उठता है कि जांच में डॉ. मनु प्रताप को भी सदस्य बनाया है। जो कि खुद ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े हुए हैं। वे आखिर अपने संगठन के खिलाफ कैसे निष्पक्ष होकर जांच कर पाएंगे।
दलाली का अड्डा बना है विश्वविद्यालय
डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय में छात्र राजनीति की आड़ में दलाली की जाती है। विश्वविद्यालय के कर्मचारियों पर दवाब बनाकर गैर कानूनी कार्य करवाए जाते हैं। पीडि़त छात्रों से पैसे लेकर विश्वविद्यालय के कर्मचारी अधिकारियों ने मनमाफिक कार्य करवाए जाते हैं। कई कथित छात्रनेताओं ने दलाली से इतना रुपया गांठ लिया है कि बड़ी-बड़ी गाडिय़ों में विश्वविद्यालय में आकर अपना रुआब गांठते हैं।
सिक्योरिटी डेढ़ करोड का खर्च, काम कुछ नहीं
आंबेडकर विश्वविद्यालय में 40 से 45 सिक्योरिटी गार्ड तैनात हैं। जिनमें कई गार्डों को असलाह के साथ तैनात किया गया है। इन्हें हर माह 13 से 14 लाख रुपये का भुगतान किया जाता है। जो कि सालाना डेढ़ करोड़ तक बैठता है। सिक्योरिटी के नाम पर करोड़ों का खर्चा होने के बाद भी कम धैले भर का भी नहीं होता है। जिस दिन घटना हुुई थी। उस दिन भी सिक्योरिटी की फोर्स मूक दर्शक बनकर खड़ी रही। जबकि गेट पर ताला लगाने के निर्देश हैं।