झाँसी, उत्तर प्रदेश: इस्लाम धर्म के अंतिम पैगंबर, हजरत मोहम्मद सल्लालहु अलैहि वसल्लम का 1500वां सालाना जन्मदिवस झाँसी में बड़े ही उत्साह और धूमधाम के साथ मनाया जाएगा। इस अवसर पर, झाँसी शहर का प्रमुख धार्मिक जुलूस, जुलूस-ए-मोहम्मदी, निकाला जाएगा। इसका आयोजन मदीना मस्जिद मरकज़ ए अहले सुन्नत वल जमात और सीरत-ए-मुस्तफा कमेटी के आह्वान पर किया गया है।
यह ऐतिहासिक जुलूस 5 सितंबर को हाफ़िज़ और उलेमाओं की सरपरस्ती में निकाला जाएगा। इस जुलूस में बड़ी संख्या में क्षेत्र के सभी उलेमा इकराम, हाफ़िज़, हाजी और अन्य लोग शिरकत करेंगे। झाँसी में यह जुलूस पिछले 65 वर्षों से लगातार निकाला जा रहा है, जो शहर की धार्मिक एकता और भाईचारे का प्रतीक बन गया है।
संदेश-ए-अमन और भाईचारे का प्रतीक
जुलूस-ए-मोहम्मदी का मुख्य उद्देश्य ‘पैगाम-ए-अमन’ यानी शांति का संदेश फैलाना है। यह जुलूस कपूर टेकरी स्थित मदीना मस्जिद मरकज़ अहले सुन्नत वल जमात से शुरू होगा। यहाँ से यह कुरैश नगर चौराहा, ओरछा गेट, घनियापुरा, तलैया मोहल्ला, बड़ा बाज़ार, मानिक चौक और सिंधी चौराहे से होते हुए गुलाम गौस खां चौराहे पर एक जलसे (सभा) के रूप में समाप्त होगा।
इस जुलूस में शामिल नौजवान “नारे तकबीर अल्लाहु अकबर”, “नारे रिसालत या रसूल अल्लाह”, और “आँख का तारा नबी हमारा” जैसे नारे लगाते हुए चलेंगे। जुलूस के दौरान जगह-जगह विभिन्न समुदायों द्वारा स्वागत और सम्मान का आयोजन किया जाएगा, जिसमें सभी धर्मों के लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा लेंगे। यह झाँसी की गंगा-जमुनी तहज़ीब का एक शानदार उदाहरण है।
आयोजन में प्रमुख लोगों की भागीदारी
इस महत्वपूर्ण आयोजन की तैयारियों के लिए हुई बैठक में कई प्रमुख हस्तियाँ मौजूद रहीं, जिनमें मुफ़्ती अमान सिद्दीकी मंजरी (पेश इमाम, मदीना मस्जिद), मौलाना मोहसिन साहिब, क़ारी फुरकान रज़ा, कारी अता उल्लाह, कारी मुवीन कादरी, हाफ़िज़ अमजद कुरैशी, हाफ़िज़ अनस, हाफ़िज़ साबिर क़ादरी, हाफ़िज़ हाजी सैयद सादिक अली, चौधरी सल्लू कुरैशी, चौधरी रईस कुरैशी, जमील अहमद, चौधरी खुर्शीद, चौधरी नफीस कुरैशी, चौधरी मागु, रियाज़ू कुरैशी, शब्बीर कुरैशी (ठेकेदार), मुकीम कुरैशी, मुजस्सर कुरैशी, सादिक बरकाती और जमाल कुरैशी शामिल थे।
इस आयोजन से यह संदेश जाएगा कि झाँसी शहर में सभी समुदाय मिलकर शांति और सद्भाव के साथ रहते हैं।
