आगरा में लघुवाद न्यायालय में योगेश्वर श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ट्रस्ट के श्रीकृष्ण विग्रह संबंधी केस में गुरुवार को सुनवाई हुई। वादीगण की तरफ से अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि आज माननीय न्यायालय में विपक्षी संख्या-2 की तरफ से दाखिल आदेश 7 नियम 11 के प्रार्थना पत्र पर आपत्तियां दाखिल की गईं।
अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि जामा मस्जिद उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की संपत्ति नहीं है। जामा मस्जिद का अभी तक वक्फ अधिनियम 1995 की धारा 4 के अनुसार सर्वे नहीं हुआ है।
उन्होंने बताया कि जब तक वक्फ अधिनियम 1995 की धारा 4 की कार्यवाही नियमानुसार पूरी नहीं होती तब तक कोई संपत्ति वक्फ की संपत्ति नहीं कही जा सकती है। इस बारे में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के भी कई निर्णय हैं जिनमें यह कहा गया है कि वक्फ बोर्ड को वक्फ अधिनियम 1995 की धारा 4 की कार्यवाही पूरी करनी पड़ेगी तब किसी संपत्ति को वक्फ माना जा सकता है।
अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि उन्होंने अपने आपत्ति प्रार्थना पत्र में कहा है कि जामा मस्जिद इस्लामिक ढांचा नहीं है, वह एक हिंदू ढांचा है। इस संबंध में उन्होंने न्यायालय में साक्ष्य भी दाखिल किए हैं।
वादीगण ने सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की पैरवी माननीय न्यायालय में दाखिल की जिसे माननीय न्यायालय ने पूर्ण मान लिया है। आज सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड दौरान सुनवाई अनुपस्थित रहा। न्यायालय ने 2 फरवरी को सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को अंतिम अवसर दिया है, अपना जबाब दाखिल करने के लिए।
अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि उनके द्वारा दाखिल किए आपत्ति प्रार्थना पत्र में विपक्षी जामा मस्जिद ने रिजॉइंडर बीच में दाखिल करने की प्रार्थना की जिसे न्यायाधीश मृत्युंजय श्रीवास्तव ने एलाउ कर दिया।
केस की अगली तिथि 2 फरवरी, 2024 है जिस पर आदेश 7 नियम 11 पर बहस होगी।