ताजमहल/तेजोमहालय में पूजा अर्चना की मांग पर हुई सुनवाई, मुस्लिम पक्षकार बनने वाली अर्जी पर 10 अप्रैल को होगी बहस

MD Khan
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ताजमहल/तेजोमहालय में पूजा अर्चना की मांग पर हुई सुनवाई, मुस्लिम पक्षकार बनने वाली अर्जी पर 10 अप्रैल को होगी बहस

आगरा: ताजमहल, जिसे कई लोग तेजोमहालय भी मानते हैं, में पूजा अर्चना की मांग को लेकर दायर वाद पर गुरुवार को आगरा के लघुवाद न्यायालय में सुनवाई हुई। इस मामले में योगी यूथ ब्रिगेड के प्रदेश अध्यक्ष कुंवर अजय तोमर ने ताजमहल में हिंदू त्योहारों, जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक जैसी पूजा विधियों को लेकर एक वाद दायर किया था। इस वाद की सुनवाई न्यायाधीश मृत्युंजय श्रीवास्तव की अदालत में हुई।

इस मामले में वादियों के अधिवक्ता शिव आधार सिंह तोमर, प्रतिवादी एएसआई के अधीक्षक पुरातत्वविद डॉ. राजकुमार पटेल और सैयद इब्राहिम हुसैन जैदी के अधिवक्ता रहे। सैयद इब्राहिम हुसैन जैदी ने ताजमहल को वक्फ बोर्ड की संपत्ति बताते हुए पक्षकार बनने के लिए एक अर्जी दी थी। इस पर अदालत ने 10 अप्रैल को बहस की तारीख तय की है।

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कुंवर अजय तोमर ने कहा कि हालांकि सुप्रीम कोर्ट का आदेश सर्वोपरि है, लेकिन हिंदू आस्था और हिंदू जन भावनाओं का भी ध्यान रखा जाना चाहिए। उन्होंने ताजमहल के इतिहास पर बात करते हुए कहा कि यह स्थल मुगलों के अत्याचारों और उनके क्रूरता की गवाही है। उनका दावा है कि ताजमहल को पहले तेजोमहालय शिव मंदिर के रूप में जाना जाता था, जिसे शाहजहां ने धोखे से कब्जा कर लिया और इसके साथ झूठी कहानी जोड़ी कि यहां मुमताज की कब्र है।

अधिवक्ता शिव आधार सिंह तोमर ने अदालत में कहा कि एएसआई और मुस्लिम पक्ष यह नहीं चाहते कि ताजमहल की सच्चाई सामने आए, लेकिन हम सच्चाई को पूरी दुनिया के सामने लाने के लिए कृतसंकल्प हैं। वहीं, सैयद इब्राहिम हुसैन जैदी के पक्षकार बनने के प्रार्थना पत्र पर बहस 10 अप्रैल को होगी।

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पिछली सुनवाई 20 जनवरी 2025 को हुई थी, जब सैयद इब्राहिम हुसैन जैदी के अधिवक्ता ने समय मांगा था। इस मामले में ताजमहल को वक्फ संपत्ति मानने को लेकर कांग्रेस नेता और उर्स कमेटी के अध्यक्ष सैयद इब्राहिम हुसैन जैदी ने पक्षकार बनने की अर्जी दी थी।

ताजमहल को लेकर यह विवाद तब और बढ़ा, जब कुंवर अजय तोमर ने 23 जुलाई 2024 को ताजमहल को तेजोमहालय शिव मंदिर बताते हुए, हिंदू त्योहारों पर पूजा अर्चना की मांग की थी। उनका दावा है कि तेजोमहालय शिव मंदिर राजा परमार्दिदेव देव द्वारा 1155 से 1212 के बीच बनवाया गया था, जिसे बाद में राजा मानसिंह और राजा जयसिंह ने महल में तब्दील कर दिया, लेकिन शिव मंदिर को सुरक्षित रखा। उनका यह भी कहना है कि शाहजहां ने इसे धोखे से हड़प लिया और इसे मुमताज की कब्र बताकर एक झूठी कहानी बनाई।

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इस विवाद की सुनवाई आगामी 10 अप्रैल को होगी, जहां इस मामले में और अधिक बहस हो सकती है।

 

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