आगरा: यमुना आरती स्थल पर एक महत्वपूर्ण गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें यमुना नदी की दुर्दशा और उसे पुनर्जीवित करने के उपायों पर गहन चर्चा की गई। कार्यक्रम का विषय था, “यमुना निर्मल, अविरल कैसे बहे आगरा में?” इस गोष्ठी में नागरिकों, पर्यावरणविदों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया और यमुना के प्रदूषण और जल प्रवाह की समस्या पर गंभीर चिंता जताई। गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार श्री ऋषि दीक्षित ने की।
गोष्ठी में उपस्थित प्रमुख व्यक्तित्व
कार्यक्रम में सर्वश्री गिर्राज शर्मा, वीरेंद्र गोस्वामी, पद्मिनी अय्यर, मीरा खंडेलवाल, वत्सला प्रभाकर, नरेश पारस, डॉ. मुकुल पांड्या, राजीव गुप्ता, पंडित जुगल किशोर, गोस्वामी नंदन श्रोत्रिय, मुकेश, चतुर्भुज तिवारी, आनंद राय, डॉ. देवाशीष भट्टाचार्य, ज्योति खंडेलवाल, विशाल झा, शहतोश गौतम, हुटेंद्र पल सिंह और निधि पाठक ने भाग लिया।
यमुना की वर्तमान स्थिति: वादे बनाम हकीकत
गोष्ठी के दौरान यमुना के मुद्दे पर कई विचार सामने आए। डॉ. देवाशीष भट्टाचार्य ने कहा कि यमुना को प्रदूषण-मुक्त और अविरल बनाने के लिए बैराज निर्माण और डिसिल्टिंग (गाद हटाना) की तत्काल आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा कि यमुना की सफाई में रुकावटों को दूर करने के लिए सरकारी स्तर पर तत्काल कदम उठाए जाने चाहिए।
डॉ. आनंद राय ने कार्यक्रम के दौरान उल्लेख किया कि पिछले कई वर्षों में किए गए कई वादे, जैसे 2015 में दिए गए फैरी क्रूज की योजना, अभी तक पूरे नहीं हो पाए हैं। इसके कारण यमुना के पुनर्जीवित होने में कई अड़चनें आई हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता नरेश पारस ने भी चिंता जताई कि न तो घाटों का निर्माण हुआ, न अतिक्रमण हटाए गए, न नालों को बंद किया गया और न ही आगरा को उसका न्यायसंगत जल हिस्सा मिला। उन्होंने कहा कि अगर जलवायु परिवर्तन से निपटना है तो यमुना की सफाई के लिए सामूहिक प्रयास किए जाने चाहिए।
यमुना का महत्व और प्रदूषण की समस्या
यमुना नदी का केवल धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व नहीं है, बल्कि यह कृषि, पर्यावरण और जनजीवन का भी एक अहम हिस्सा है। गोष्ठी में वीरेंद्र गोस्वामी ने बताया कि यमुना के जल का प्रदूषण, औद्योगिक कचरे, घरेलू गंदगी और सीवेज के कारण नदी का पानी विषैला हो चुका है, जिससे न केवल नदी का जलीय जीवन प्रभावित हो रहा है, बल्कि लोगों के स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
यमुना भक्त मुकेश ने कहा कि प्रदूषण के कारण यमुना के जल में मौजूद जीव-जंतु और मछलियाँ खतरे में हैं, जो नदी के पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुँचा रहे हैं।
चतुर्भुज तिवारी ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि बैराज निर्माण से यमुना में पानी का स्तर बढ़ेगा और इससे जल प्रवाह में सुधार होगा। इसके साथ ही डिसिल्टिंग (गाद हटाने), घाटों का नवीनीकरण और अतिक्रमण हटाने की तत्काल आवश्यकता है।
यमुना की सफाई के लिए सरकार और जनता की साझेदारी
गोष्ठी में ज्योति खंडेलवाल ने यह भी सुझाव दिया कि सरकार और जनता को मिलकर यमुना की सफाई के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। उन्होंने यह भी कहा कि यमुना को पुनर्जीवित करने के लिए जरूरी है कि सभी सामाजिक संगठन, पर्यावरणविद और नागरिक एकजुट होकर काम करें।
रिवर कनेक्ट कैंपेन के संयोजक श्री बृज खंडेलवाल ने भी इस विषय पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा, “यमुना को बचाने के लिए हमें एकजुट होकर काम करना होगा। सरकार को अपने वादों को पूरा करना चाहिए और जनता को भी जागरूक होकर नदी की सफाई में सहयोग देना चाहिए।”
समापन और आभार
कार्यक्रम के अंत में सभी उपस्थित लोगों को निधि पाठक ने धन्यवाद दिया और यमुना की स्वच्छता के लिए एक सामूहिक प्रयास का संकल्प लिया गया। यह गोष्ठी यह संदेश देती है कि यदि यमुना को पुनर्जीवित करना है तो सभी को मिलकर प्रयास करने होंगे, ताकि भविष्य में यह नदी न केवल प्रदूषण-मुक्त हो, बल्कि अविरल और निर्मल रूप से बह सके।