आगरा । केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान, मखदूम नस्ल सुधार, फीड मैनेजमेंट, वैल्यू एडेड बकरी मीट और दूध उत्पादों, हाउसिंग टेक्नोलॉजी, कृत्रिम गर्भाधान बकरी को प्रभावित करने वाली संक्रमण बीमारियों के लिए डायग्नोस्टिक और वैक्सीन जैसी कई तकनीकों पर काम कर रहा है। केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान ने विशेष रूप से भेड़ पालन के लाभ-हानि अनुपात को सुधारने के आर्थिक मापदंडों पर ध्यान देते हुए बकरी उत्पादन को अवरुद्ध करने वाली समस्याओं को हल करने के लिए कई तकनीकों का विकास किया है, इस तरह की जलवायु सहनशील बकरी उत्पादन एक महत्वपूर्ण निचला क्षेत्र है जहां सीआईआरजी काम कर रही है।
संस्थान के आविष्कारक डॉ. अशोक कुमार, डॉ. यूबी चौधरी, डॉ. पी.के. राउत और श्री कमेंद्र स्वरुप की मेहनत ने बकरियों में तनाव को कम करने वाले एंटी स्ट्रेसर के आविष्कार का मार्ग खोला है। इसके लिएहाल ही में केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान, मखदूम को ‘बकरियों के लिए जड़ी बूटियों से तैयार एंटी स्ट्रेसर के तैयारी का विधि’ पर एक पेटेंट प्रदान किया गया है।
केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान, मखदूम ने अब तक 7 पेटेंट प्रदान किए गए हैं। यह तकनीक उन बकरी पालकों के लिए एक उपहार होगी जो अत्यधिक मौसमी स्थितियों के कारण दूध उत्पादन या विकास के नुकसान से जूझ रहे हैं। जड़ी बूटी का तैयारी अधिक प्रभावी और प्राकृतिक होता है जो अत्यधिक गर्म या ठंडे या नमी जैसे मौसमी परिवर्तनों के दौरान बेहतर स्वास्थ्य बनाए रखने में मदद करेगी।
इस उपलब्धि के लिए प्रधान डॉ0 अशोक कुमार, प्रधान वैज्ञानिक को संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिकों की मौजूदगी में संस्थान निदेशक डॉ0 मनीष कुमार चेटली के द्वारा सम्मानित किया गया ।