बिना पंजीकरण के खुलेआम कर रहे हैं डेंगू के नाम पर मलेरिया का उपचार
दीपक शर्मा
मैनपुरी, उत्तर प्रदेश – उत्तर प्रदेश राज्य सरकार के स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक ने प्रदेश के प्रत्येक जनपद के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को कड़े निर्देश जारी किए हैं कि कोई भी प्राइवेट चिकित्सक बिना पंजीकरण एवं बिना किसी डिग्री धारक चिकित्सक की गैर मौजूदगी में उपचार नहीं करेगा। लेकिन, इन निर्देशों की धज्जियां उड़ाते हुए मैनपुरी में झोलाछाप डॉक्टरों और प्राइवेट अस्पतालों के संचालकों की बल्ले-बल्ले है। जहां बिना पंजीकृत कराए बड़े ही धड़ल्ले से झोलाछाप डॉक्टर खुलेआम डेंगू के नाम पर मलेरिया का उपचार करते हुए नजर आ रहे हैं। जिसके साथ ही वह बीमार लोगों के जीवन से खिलवाड़ के साथ-साथ उनकी जेबों पर भी ढाका डाल रहे हैं।
ग्रामीण अंचलों में खुलेआम हो रहा उपचार
परिधि समाचार की टीम ने ग्रामीण अंचलों में पहले डेंगू जैसी प्राण घातक बीमारी का विकासखंड बेवर क्षेत्र के ग्राम बिल्सड़ा बागपुर में ग्राउंड जीरो पर पहुंचकर जायजा लिया। जहां हकीकत देखने को मिली कि ग्रामीण अंचलों में एक ही हाल में कई चारपाईयों पर दर्जनों की संख्या में बीमारी से पीड़ित अपना उपचार कर रहे हैं। वहीं अब सोचने वाली बात है कि ना कोई डिप्लोमा ना ही कोई डिग्री इसके बावजूद भी झोलाछाप चिकित्सिक बड़े पैमाने पर अपनी दुकानें सजाए हुए हैं। इसे स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही कहे या अनदेखी, यह बात स्वास्थ्य विभाग पर प्रश्न चिन्ह लगा रही है।
बीमारों की जेबों पर डाका डाल रहे हैं झोलाछाप डॉक्टर
आपको बता दें कि जनपद मैनपुरी के कस्बा बेबर में स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर जीवन रक्षक दवाइयां एवं कई चिकित्सकों की तैनाती है। जहां पर मौजूद चिकित्सकों के द्वारा मरीजों का मुफ्त इलाज किया जाता है। लेकिन, इसके बावजूद भी प्राइवेट अस्पताल संचालक एवं झोलाछाप डॉक्टर बीमारी से पीड़ितों की जेबों में डाका डाल रहे हैं।
डेंगू से हो चुकी है तीन की मौत
सत्य के सामने समाचार ने जब वहां पर उपचार करा रहे बीमारी से पीड़ित लोगों से बातचीत की तो उनके द्वारा जानकारी देते हुए बताया कि उसके क्षेत्र में अब तक तीन लोगों की डेंगू से मौत भी हो चुकी हैं।
झोलाछाप डॉक्टर दिनेश शाक्य कर रहे हैं उपचार
विकासखंड बेवर क्षेत्र के गांव बागपुर में चिकित्सक दिनेश शाक्य जो अपने आप को डिग्री धारक चिकित्सक बता रहे हैं। उनके द्वारा डेंगू जैसी घातक बीमारी का उपचार किया जा रहा है। जिनसे मीडिया ने पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि उनका अभी स्वास्थ्य विभाग में पंजीकरण नहीं हुआ है। जिससे साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि बिना पंजीकरण के ही झोलाछाप डॉक्टरों की बल्ले-बल्ले है। क्योंकि बीमारी से पीड़ित लोग झोलाछाप डॉक्टर की शरण में आकर उपचार कर रहे हैं।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कही यह बात
इस संबंध में मुख्य चिकित्सा अधिकारी आर सी गुप्ता से जब अग्रभारत समाचार ने बातचीत की तो उन्होंने बताया कि जनपद में डेंगू जैसी प्राण घातक बीमारी नहीं है। इसके बावजूद भी यदि ऐसे चिकित्सक प्राइवेट हॉस्पिटल खोलकर डेंगू के नाम पर उपचार कर रहे हैं, तो उन्हें चिन्हित कर जांच कराई जाएगी और उनके विरुद्ध कार्यवाही भी की जाएगी। किसी भी हालत में बिना पंजीकरण और बिना डिग्री धारक चिकित्सक के कोई भी हॉस्पिटल संचालित नहीं होने दिया जाएगा। लगातार झोलाछाप डॉक्टर और बिना पंजीकरण के चल रहे अस्पतालों पर कार्यवाई की जा रही है।